अखिलेश की फ़ेहरिस्त से मुलायम और शिवपाल का नाम ग़ायब

सपा में गृह युद्ध 2017 में हुए विधानसभा चुनाव से ही चल रहा है| शिवपाल से मनमुटाव के बाद ये सिलसिला अभी तक चलता अ रहा है| लेकिन पार्टी इस बात से इनकार करती रही कि उनके घर परिवार में ऐसा कुछ मतभेद है| लेकिन सच किसी से छिपता नहीं कभी न कभी ज़ाहिर हो ही जाता है| घर में चल रहे परिवारवाद की एक झलक फिर देखने को मिली जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव  ने सोमवार को अपनी 55-सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की| इस घोषणा में पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव का नाम नहीं है| साथ ही विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश के राजनीतिक प्रतिद्वंदी बनकर उभरे शिवपाल सिंह यादव का भी नाम नहीं है|

सपा के प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव ने इस सूची को जारी किया है जिसके मुताबिक किरणमय नंदा को उपाध्यक्ष के पद पर बरकरार रखा गया है. इसके अलावा कार्यकारिणी में आजम खान, नरेश अग्रवाल और हाल में बसपा छोड़कर सपा में आए इंद्रजीत सरोज समेत 10 महासचिव, राजेंद्र चौधरी, कमाल अख्तर और अभिषेक मिश्र समेत 10 सचिव, जया बच्चन, अहमद हसन तथा रामगोविंद चौधरी समेत 25 सदस्य तथा छह विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल हैं.

कार्यकारिणी में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का नाम नहीं होने की वजह से ये सवाल उठा है कि अब पार्टी में उनका क्या स्थान है| पत्रकार को जवाब देते हुए राष्ट्रीय सचिव और पार्टी के मुख्य प्रांतीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि इस बारे में वह कुछ नहीं कह सकते हैं|

5 अक्टूबर को सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को एक बार फिर सपा अध्यक्ष चुना गया था. उस वक्त उन्हें अपनी कार्यकारिणी चुनने का अधिकार मिल गया था| इससे ये साफ पता चलता है की इसके पीछे कोई गंभीर वजह है|

 

शिवपाल सिंह यादव का भी नाम न होने की वजह से उनके भविष्य को लेकर भी तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं| हालांकि हाल में रिश्तों में दिखी कुछ नरमी को देखते हुए ऐसा लग रहा था कि पार्टी के में किसी न किसी पद पर उन्हें बिठाया जा सकता है, लेकिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनका नाम नहीं होने के कारण एक बात तो तय है की पार्टी के अन्दर कुछ ठीक नहीं चल रहा है| इसके लिए हमें इंतज़ार करना होगा|

 

शरीफ उल्लाह