अखिलेश के सामने इंतेख़ाबी मंशूर के कई वादों की तकमील की ज़िम्मेदारी

समाजवादी पार्टी की इंतेख़ाबी कामयाबी के मुअम्मार अखिलेश यादव के लिए यू पी का ताज फूलों की सेज नहीं बल्कि कांटों का ताज साबित होगा। सयासी तौर पर मुल़्क की अहम तरीन रियासत यूपी का सब से कम वज़ीर-ए-आला बनना किसी एज़ाज़ से कम नहीं। अखिलेश ने रियासत की तरक़्क़ी के लिए कई इंतेख़ाबी वायदे किए हैं, जिनकी तकमील उनकी अव्वलीन तर्जीह होगी। उन्होंने कहा कि रियासत में लाक़ानूनीयत को हरगिज़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इससे सख़्ती से निमटा जाएगा।

दूसरा अहम काम उनके ज़िम्मा ये है कि उन्हें सीनीयर क़ाइदीन से अपने ताल्लुक़ात हमवार रखने होंगे जो यूपी की सियासत में अचानक अखिलेश के उभरने से कुछ बौखलाहट और कुछ हैरानी में मुबतला हैं। याद रहे कि एस पी में अखिलेश यादव को इख़्तेयारात के बावजूद उन्होंने हमेशा अपने आप को एक मामूली नौजवान के तौर पर पेश किया।

इंतेख़ाबी मंशूर में किए गए वादों की तकमील भी उनके लिए एहमीयत की हामिल है जैसे हाई स्कूल और इंटरमीडीयेट तलबा के लिए टेबलेट और लैप टॉप्स की फ़राहमी और तालीम याफ्ता नौजवानों को बेरोज़गारी भत्ता की अदायगी जिससे सरकारी ख़ज़ाना पर करोड़ों रुपय का बोझ आइद होगा।

अखिलेश का कहना है कि लोगों की ये सोच ग़लत है कि एस पी के नज़रियात मुलायम सिंह यादव की क़ियादत में दक़यानूसी थे जबकि अखिलेश के मंज़र पर आने से पार्टी अब नए ख़्यालात की हामिल पार्टी से ताबीर की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसी बात नहीं है, उन्होंने अब तक सयासी मैदान में जो कुछ सीखा है वो अपने वालिद से ही सीखा है।