लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र हंगामेदार होने वाला है। सोमवार यानि 22 जुलाई से शुरू हो रहे इस सत्र के दौरान जहाँ सरकार के सामने कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पास कराने की चुनौती है, वहीँ उसके लिए सरकार के अंतिम छह महीने में विकास कार्यों को गति देने वाला 25 हज़ार करोड़ रूपये का अनुपूरक बजट पास करना भी कम मुश्किलात भरा नहीं होगा। विपक्षी दलों ने सदन में सपा सरकार को घेरने को कमर कस ली है। रणनीति तैयार करने को उनके बीच बैठक भी हो चुकी है । आखिर यह चुनावी मौसम जो ठहरा।
सभी दल चुनाव में उतरने से पहले विधानसभा के अंतिम सत्र के माध्यम से जनता में अपनी अच्छी छवि पेश करना चाहते हैं। इसलिए पक्ष और विपक्ष ने मानसून सत्र के लिए अलग अलग एजेंडा सेट किया है। सरकार को घेरने केलिए विपक्ष जहाँ बिगड़ी कानून व्यवस्था,मथुरा कांड,सामूहिक दुष्कर्म , महिला – दलित उत्पीड़न, बाढ़, भ्र्ष्टाचार, बकाया गन्ना भुगतान का मसला उठाने वाला है। इसके इतर सरकार ने 25 हज़ार करोड़ रूपये के अनुपूरक बजट पर सदन की मोहर लगवाने और जीएसटी बिल, अपार्टमेंट संशोधन बिल, मंत्री वेतन भत्ता बिल आदि पास कराने का खाका तैयार किया है। सत्र के पहले दिन सदस्यों के निधन के बाद सदन स्थगित कर दिया जाएगा। 23 अगस्त को कुछ विधेयक रखे जाएंगे, उसी दिन अनुपूरक बजट पेश होगा। 24 को इसपर चर्चा होगी। 25 की जन्माष्टमी की छुट्टी है। 26 को सदन आधा दिन चलेगा । 27-28 को शनिवार, रविवार के चलते अवकाश रहेगा। अंतिम दो दिन 29 व 30 अगस्त को विधायी और अन्य कार्य होंगे।
सपा सरकार ने सदन में विपक्ष के हमले झेलने के साथ अपना पक्ष मजबूती से रखने की रणनीति बनाई है। दूसरी तरफ भाजपा नेता राधामोहन दस का कहना है कि चौतरफा घिरी सरकार खुद को बचाना चाहती है। इसके बावजूद वह बच नहीं पाएगी। नाकामियों के चलते उसे घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जाएगा। नेता विपक्ष गयाचरण दिनकर कहते हैं , यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे सरकार सदन में अपनी क़ाबलियत सिद्ध करती है। हालांकि कि सीनियर कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव मानसून सत्र को लेकर बेहद इत्मीनान नज़र आ रहे हैं।
लखनऊ से एम ए हाशमी