अगर जेल में बंद कैदियों को सही तरीके से नहीं रख सकते तो उन्हें छोड़ दो- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जेलों में बंद कैदियों की संख्या का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों को लताड़ लगाई गई है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जेलों में कैदियों की भीड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए अपनी सख्त टिप्पणी में कैदियों के मानवाधिकारों के प्रति उदासीनता दिखाने पर जेल के डायरेक्टर जनरलों को चेतावनी जारी की है। साथ ही यह भी कहा है कि अगर दो सप्ताह में जेलों की हालत सुधारने की योजना नहीं दिए तो अदालत की अवमानना का मामला दर्ज होगा।

देश के कई जेलों में कैदियों की संख्या तय संख्या से काफी ज्यादा है। ज्यादातर जेलों में तय क्षमता से 150 फीसदी ज्यादा कैदी हैं। कई जेलों में स्थिति बेहद खराब है और यहां तो तय क्षमता से 600 प्रतिशत ज्यादा कैदी जेल में बंद हैं।

जेल में कैदियों की संख्या तय क्षमता से अधिक होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट 6 मई, 2016 से ही राज्यों से भीड़ को कम करने के लिए योजना के बारे में पूछ रहा है। इस पर राज्यों ने गंभीरता नहीं दिखाई है। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं आप अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, ‘अगर कैदियों को सही तरह से रखा नहीं जा सकता तो उन्हें सुधारने की क्या बात की जाए. अगर उन्हें सही तरह से जेल में रखा नहीं जा सकता तो उन्हें छोड़ दिया जाना चाहिए।’

अदालत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जेलों में कैदियों की भारी भीड़ है। कैदियों का भी मानवाधिकार है उन्हें जानवरों की तरह बंद कर के नहीं रखा जा सकता।