उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में स्थित नया बांस गांव के लोगों की जिंदगी पिछले दो सालों में बदल सी गई है. यहां पहले हिंदू-मुस्लिम अपनी हर खुशी, अपना हर त्योहार साथ मिलकर मनाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. लोगों को डर है कि मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने पर माहौल और भी खराब हो सकता है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, नया बांस गांव में रहने वाले मुस्लिम परिवारों का कहना है कि उन्हें याद है जब उनके बच्चे भी हिंदू बच्चों के साथ खेलने जाते थे. दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे के साथ खुलकर बातें करते थे, दुकानों और त्योहारों में साथ जाते थे. लोगों का कहना है कि अब ऐसी बातचीत नहीं रही. क्योंकि पिछले दो सालों में इन दोनों समुदायों के बीच काफी दूरियां पैदा कर दी गई हैं. इसी वजह से कुछ लोग यहां से जाने की तैयारी भी कर रहे हैं. मुस्लिम परिवारों का कहना है कि अगर पीएम मोदी की हिंदू राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी दोबारा सत्ता में आती है तो परेशानी और ज्यादा बढ़ सकती हैं. हाल ही में एग्जिट पोल के नतीजों से एनडीए को बहुमत मिलने के संकेत मिल रहे हैं
गांव में तंबाकू और ब्रेड की एक छोटी दुकान चलाने वाले गुलफाम अली ने रॉयटर्स को बताया, हिंदू-मुस्लिम अपने अच्छे और बुरे वक्त में हमेशा साथ रहते थे. एक दूसरे की शादियों और मातम में भी शरीक होते थे. लेकिन अब हम लोगों ने जीने के अलग रास्ते अपना लिए हैं.
एक अन्य ग्रामीण अली ने कहा, मोदी और योगी ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. उनका असली मकसद हिंदू-मुस्लिम को अलग करना है. ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ. हम इस जगह को छोड़ना चाहते हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं कर सकते हैं. अली ने बताया कि पिछले दो सालों में उसके चाचा सहित दर्जनों परिवार गांव छोड़कर जा चुके हैं. बुलंदशहर हिंसा के लगभग पांच महीने बाद 4 हजार की जनसंख्या वाले इस गांव के लगभग 400 मुस्लिमों का कहना है कि उनके घाव अभी तक नहीं भर पाए हैं, यहां अभी भी हालात सुधरे नहीं हैं. इस घटना ने सब कुछ बदलकर रख दिया
पिछले साल तक जहां नयाबांस में गेंहू के खेत, संकरे रास्ते और उनमें घूमती बैलगाड़ियां और गाय दिखती थीं, वही अब यहां एक अलग ही माहौल नजर आता है. यहां कुछ हिंदुओं ने आरोप लगाया था कि उन्होंने कुछ मुस्लिमों को गौ हत्या करते हुए देखा. जिसके बाद माहौल काफी बिगड़ता चला गया. हाईवे को रोक दिया गया, गाड़ियां जलाई गईं और एक पुलिस अधिकारी सहित दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
नया बांस गांव के लोगों ने इससे पहले भी तनाव और हिंसा देखी है. साल 1977 में एक मस्जिद बनाने को लेकर पैदा हुए सांप्रदायिक दंगों में भी दो लोगों की मौत हुई थी. जिसके बाद यहां कुछ दिनों तक तनाव के हालात बने थे. लेकिन पिछले 40 सालों में यहां सब कुछ ठीक हो गया था. सभी मिल जुलकर एक साथ रहते थे.