अगले एक दो वर्ष तक बना रहेगा आईटी क्षेत्र में छटनी का दौर: विशेषज्ञ

डिजिटलीकरण और स्वचालन के आम होने की वजह से आईटी की दिगज कम्पनिया, इनफ़ोसिस, कॉग्निजेंट और टेक महिंद्रा भारी संख्या में कर्मचारियों की छटनी  करने में  लगी हुई है और अगर विशेषज्ञों की माने तो  यह सिलसिला अगले 1-2 साल तक चलता रहेगा|

माना जा रहा है की यह कदम कंपनी के लक्ष्यों को पूरा करने के दबाव में उठाए जा रहे है ताकि लागत को नियंत्रण में रखा जा सके|

अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिआ और न्यू ज़ीलैण्ड  जैसे देशो  के मौजूदा  रुख  से उत्पन  विर्प्रित  परिस्थितियों  के चलते  सबसे ज्यादा परेशानी का सामना  भारतीय सॉफ्टवेयर निर्यातकों को करना पड़ रहा है,  जिसका सीधा असर इनके व्यापर पर देखा जा सकता है|

इसके अतिरिक्त आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धि), रोबोट प्रोसेस ऑटोमेशन और क्लाउड कंप्यूटिंग, जैसे इस्तेमाल में ली जा रही नई टेक्नोलॉजीज कम जनशक्ति के साथ काम को पूरा करने में मदद करती है|

टीमलीज सर्विसेज के कार्यकारी उपाध्यक्ष और सह-संस्थापक  ऋतुपर्ण चक्रबर्ति ने बतराय की “मौजूदा हालत में कार्यकर्ता इंडस्ट्री की रफ़्तार के मुताबिक़ अपने प्रतिभा को नहीं उभार पा रहा, जिसके कारण अधिकतम लोग अयोग्य सावित हो रहे है|”

कार्यकारी खोज संगठन ग्लोबल हंट के एमडी सुनील गोयल की राय में ” नई प्रौद्योगिकी के आने बाजार में आने पर, यह सुव्यवस्थीकरण हर 3-5 सालो के अंतराल में होता  रहता है परन्तु इस बार अमेरिका द्वारा विदेशी आईटी कर्मचारियों सम्बन्धी नीतियों में किये गए बदलावों से इसका व्यापक असर देखने को मिला है|”

गोयल ने आगे बताते  है की ” सम्मिलित रुझान सम्भवता आगे के 1-2 सालो तक जारी रह सकते है”, परन्तु वह आईटी पेशेवरो के लिए इसे एक ऐसे  मौके के तौर पर देखते है जिससे यह लोग नई टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षित होकर, इससे पैदा हुए नए अनेक अवसरों का लाफ उठा सकते है|

वंही चक्रबर्ति भी बताते है की ” यह एक परेशानी भरा परिवर्तन का दौर है| मगर अगले दो, तीहमाहि  में हालत बेहतर हो सकते है क्योकि आईटी सर्विसेज कंपनी स्थिर विकास चरण की दिशा में सफल हो रही है|

प्रतिभा प्रबंधन समाधान प्रदाता कैलीओगजी इंडिया के भरता के निदेशक फ्रांसिस पद्मदान ने कहा, “आईटी कंपनियों में रियायतीकरण का सिलसिला चलता रहेगा, हालांकि इसकी संख्या आंकना मुश्किल काम है|”

जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने एक रिसर्च नोट में कहा है कि इंफोसिस, कॉग्निजेंट, टेक महिंद्रा और विप्रो द्वारा कुल 2-3 फीसदी का कटौती होगी जो 7,60,000 कर्मचारियों संख्या के बराबर है|