अच्छे दर्जे की तालीम सूबे के लिए सबसे बड़ा चैलेंज

पटना 18 अप्रैल : ‘अच्छे दर्जे की तलीम बिहार जैसी रियासत के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है। तालीम में बेहतरी किये बगैर हम रियासत की तरक्की व खुशहाल मुआशरे का तसव्वूर नहीं कर सकते हैं। इसके लिए समाजी तहरीक़ व हुकुमती अंजाम की जरूरत है। वसायल का रोना रोकर हम मसला का हल नहीं निकाल सकते। तालीम को बेहतर बनाना है, तो अच्छे उस्ताज लाने होंगे। असातेज़ा को इज्ज़त व सहूलियत देनी होगी। तालीमी अदारों में बेहतर माहौल पैदा करना होगा।’

‘बिहार : आगे की राह, संदर्भ-शिक्षा’ मौजूं पर बुध को मुनक़्क़द सेमिनार में महरिन, तालीम, उस्ताज़ा, सियासतों व ओहदेदारों की तशवीश म्यारी तालीम को लेकर नज़र आयी। तमाम ने इसमें बेहतरी लाने की वकालत करते हुए कारगर पालिसी बनाने और उसे कारगर तरिके से क़ायम करने की बात कही।

बाजार नहीं, मुआशेरे की तामीर के लिए हो तालीम : हम तलबा को कैसी तालीम दें रहे हैं। इससे कैसी शख्सियत की तामीर होगी। कैसी तालीम उन्हें दी जाय। यह आज तक तय नहीं हुआ, जो बदकिस्मती है। तालीम बाजार के लिए नहीं, बल्कि मुआशरे की तामीर के लिए होना चाहिए। तालीम के सतह के तनासिब में ही कौम की तामीर होती है। जैसी तालीम होगी वैसी ही तरक्की होगी। तालीम व तरक्की के दरमियान गहरा ताल्लुक़ है। तालीम कमिटी की बागडोर अहल व पढ़े-लिखे लोगों के हाथों में होनी चाहिए। तालीम के बाजारीकरण को रोकना होगा। तभी आगे की राह निकल सकती है।

एएन सिन्हा इंस्टीटय़ूट के ज़ेर सेमिनार हुआ। इसकी सदारत एएन सिन्हा इंस्टीटय़ूट के सदर डीएन सहाय ने की। एसेम्बली में एख्तेलाफ़ के रहनुमा गुलाम गौस, विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय, प्रोफेसर विनय कंठ, डॉ रामवचन राय, आला तालीम के डायरेक्टर सीताराम सिंह, डीएम दिवाकर वगैरह ने अपने ख्याल रखे।