कर्नाटक में बीजेपी भले ही सरकार बनाने के लिए सात सीटों का जुगाड़ नहीं कर पाई हो, हालिया उप-चुनाव में भी भले उसकी सीटें कम हो गई हों, लेकिन इस सबके बावजूद बीजेपी का बैंक बैलेंस लगातार बढ़ रहा है।
बीजेपी पिछले लोकसभा चुनाव में 282 सीटें जीती थी जो घटकर 272 हो गई हैं लेकिन पार्टी को मिलने वाले चंदे में एक साल के भीतर ही 456 करोड़ का इजाफा हुआ है।
पार्टी को साल 2015 -16 में 76 . 85 करोड़ चंदा मिला था। लेकिन 2016 -17 में पार्टी ने 532 करोड़ 27 लाख का चंदा दर्शाया है। यानी एक साल के भीतर बीजेपी को मिलने वाले चंदे में 456 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है।
एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक राइट्स यानी एडीआर की ताज़ा रिपोर्ट में इसका जिक्र है। दिलचस्प ढंग से यह वह रकम है जो एकमुश्त 20 हज़ार से ज्यादा मिली है। इससे कम राशि का चंदा अलहदा है लेकिन चूंकि उसका हिसाब देना जरूरी नहीं है लिहाज़ा उसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया गया है।
2016 -17 में सभी पार्टियों को कुल 590 करोड़ मिले हैं। इसमें से बीजेपी को 532 मिला है। कांग्रेस के हिस्से करीब 42 करोड़ आया है। शेष 16 करोड़ का चंदा अन्य पार्टियों को मिला है। इस लिहाज़ से बीजेपी ने न सिर्फ कांग्रेस बल्कि समूचे विपक्षसे ज्यादा चंदा हासिल किया है।
एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2016-17 में सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट नाम की एक कंपनी ने अकेले ही बीजेपी को 251.22 करोड़ रुपए दिए।
राशि बीजेपी को मिलने वाले कुल चंदे का 47.19 फीसदी है। यानी लगभग आधा चंदा इसी कम्पनी से आया। दिलचस्प ढंग से इसी कंपनी ने कांग्रेस को भी 13.90 करोड़ रुपए दिए हैं।
20 हज़ार से ज्यादा चंदा देने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं की कुल संख्या 2123 है। इनमे से 1194 ने बीजेपी को और 599 कांग्रेस को चंदा दिया।