अजमल फरीद की मौत मिल्लत और उर्दू का अज़ीम खसारा

बिहारशरीफ : दुनिया ए अदब के मयनाज़ अहले कलम जो चाँद और सितारों की तरह चमक रहे थे। उनकी ज़िंदगी का चिराग बुझ गया। अजमल साहब मरहूम उनही में एक थे वो फख्र बिहार थे। अपनी ज़ात में एक अंजुमन थे। उनका शरी लहज, अंदाजे गुफ़्तुगु, मिल्लत की फख्र, जज्बा खुलूस, इज़हारे शफकत अदब का एहतराम तमाम मिलने वालों से इज़हार ए खुलूस, मिल्ली मसायल पर हक़ गोई और सदाक़त का इज़हार और दरूद फ़क्र इंसानियत में बेचैन उनके ज़िंदगी में खुले सुबूत हैं। जवारे रहमत में आला मुकाम पर उनका रहना यक़ीनी है। अल्लाह उनकी मगफिरत फरमाये और पसमंदगान को सुकून बख़्शे। उनकी मौत ऐसे वक़्त में हुई जहां सहाफ़त का मेयार गिरता जा रहा है। ये मिल्लत और उर्दू का अज़ीम खसारा है इस लिए उनकी नगहानी मौत पर एक ताजिति नाशिस्त दफ्तर नौजवान मिल्लत वेल्फेयर फाउंडेशन नालंदा में मुनक्कीद की गयी। जिसमें मुक़र्ररीन ने उनके ताईन अच्छे खयालात का इज़हार किया।