नई दिल्ली। 11 अक्टूबर (पी टी आई) सुप्रीम कोर्ट ने आज पाकिस्तानी दहश्तगर्द अजमल क़स्साब को 26/11 मुंबई दहश्तगर्द हमला मुक़द्दमा में सुनाई गई सज़ाए मौत मुअत्तल कर दी और कहा कि वो इस सज़ा को चैलेंज करते हुए दायर करदा दरख़ास्त पर क़ानूनी अमल के मुताबिक़ मुकम्मल तौर पर समाअत की ख़ाहां हैं,
जबकि बाअज़ का ये एहसास है कि इस अपील को फ़ौरी तौर पर मुस्तर्द कर दिया जाना चाहिये।
जस्टिस आफ़ताब आलम और जस्टिस सी के प्रसाद पर मुश्तमिल ख़ुसूसी बैंच ने अजमल क़स्साब को सुनाई गई सज़ाए मौत को मुअत्तल करते हुए उस की अपील के मुआमले में आजलाना समाअत से इत्तिफ़ाक़ किया।
बैंच ने अजमल क़स्साब को ख़ुसूसी दरख़्वास्त-ए-मुराफ़ा में तरमीम की भी इजाज़त दी ताकि वो जिन बुनियादों पर इस अपील को चैलेंज कर रहा है, इस में ज़रूरी तबदीलीयां या इज़ाफ़ा कर सके। अजमल क़स्साब ने ख़ुसूसी अदालत की जानिब से सुनाई गई सज़ाए मौत को चैलेंज किया है जबकि बॉम्बे हाइकोर्ट ने सज़ा की तौसीक़ कर दी थी।
बैंच ने सज़ा के हुक्म की तामील पर अलतवा के साथ साथ सीनीयर वकील और एमीकस क्यूरी (सा लस्सी) राजू रामचंद्रन की सत्ता-ए-ऐश, जिन्हों ने 2008-ए-दहश्तगर्द हमला का मुक़द्दमा अपने ज़िम्मा लिया और अदालत के साथ मुआवनत से भी इत्तिफ़ाक़ किया।
बैंच ने रामचंद्रन से कहा कि हमारे मुल्क में कई अफ़राद का ये नुक़्ता-ए-नज़र है कि इस अपील को यकसर मुस्तर्द करदिया जाना चाहीए और इस की समाअत बिलकुल नहीं होनी चाहिये, लेकिन हमें ख़ुशी है कि आप (रामचंद्रन) ने अदालत के साथ इस मुक़द्दमा में तआवुन का फ़ैसला किया है।
बैंच ने कहा कि वो इस मुआमले की मुकम्मल तौर पर समाअत के हक़ में है क्योंकि मुल्क में क़ानून की हुक्मरानी बरतर मौक़िफ़ हासिल है चुनांचे क़ानूनी अमल पाया-ए-तकमील तक पहुंचना चाहिये।
साबिक़ सालीसीटर जनरल गोपाल सुब्रामणियम , हुकूमत महाराष्ट्रा की जानिब से अदालत में पेश हुई। उन्हों ने बैंच की राय से इत्तिफ़ाक़ करते हुए कहा कि दहश्तगर्द हमले की शिद्दत और नौईयत के बावजूद दरकार क़ानूनी अमल पूरा किया जाना ज़रूरी है और इस मुआमले से तेज़ी के साथ निमटा जाना चाहिये।
उन्हों ने बताया कि ट्रायल कोर्ट और हाइकोर्ट में तमाम दस्तावेज़ी-ओ-तर्जुमा का काम तेज़ी के साथ मुकम्मल किया जा रहा है।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट इस अपील से आजलाना तौर पर निपट सकती ही। अदालत ने अजमल क़स्साब की अपील से तेज़ी के साथ निपटने से इत्तिफ़ाक़ किया। मुंबई दहश्तगर्द हमले में वाहिद ज़िंदा बचने वाले अजमल क़स्साब को आर्थर रोड जेल मुंबई में रखा गया ही। इस ने जेल हुक्काम के ज़रीया ख़ुसूसी दरख़ास्त मुराफ़ा दाख़िल की। इस ने मुक़द्दमा में मुजरिम क़रार देने और सज़ाए मौत के फ़ैसले को चैलेंज किया।
सुप्रीम कोर्ट ने रामचंद्रन को इस अपील पर फ़ैसले करने में मदद के लिए सा लस्सी मुक़र्रर किया है।
24 साला अजमल क़स्साब दीगर 9 पाकिस्तानी दहश्तगरदों के हमराह कराची से समुंद्री रास्ते के ज़रीया 28 नवंबर 2008-ए-की शब जुनूबी मुंबई में बुधवार पार्क पहूँचा जहां उन्हों ने शहर के कई तारीख़ी मुक़ामात पर हिला बोल दिया और अंधा धुंद फायरिंग शुरू करदी थी। इस के नतीजा में 166 अफ़राद हलाक और दीगर ज़ख़मी होगई। अजमल क़स्साब को पुलिस पकड़ने में कामयाब रही जबकि दीगर दहश्तगर्द हमले के दौरान हलाक हो गई।
गुज़श्ता साल 6 मई को ख़ुसूसी इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी अदालत में अजमल क़स्साब को सज़ाए मौत सुनाई थी। मुंबई हाइकोर्ट ने 21 फरवरी को अजमल क़स्साब को दी गई सज़ाए मौत के ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले को बरक़रार रखा और कहा था कि इस ज़ालिमाना और बेदर्दी के साथ किए गए हमले का मक़सद हुकूमत को अदम इस्तिहकाम से दो-चार करना था। अजमल क़स्साब के ख़िलाफ़ मुजरिमाना साज़िश, मलिक के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने और ताअज़ीरात-ए-हिंद की मुख़्तलिफ़ दफ़आत के इलावा इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी क़ानून, गै़रक़ानूनी सरगर्मीयां (रोक थाम) ऐक्ट के तहत इल्ज़ामात को बरक़रार रखा गया था। इस मुआमले की बाज़ाबता समाअत 21 जनवरी को होगी।