अजमेर शरीफ़ धमाका मुक़द्दमा- कलीदी मुल्ज़िम की दरख़ास्त ज़मानत मुस्तरद

जयपुर, 12 दिसंबर: (पीटीआई) राजस्थान हाइकोर्ट ने 2007 दरगाह अजमेर शरीफ़ बम धमाका मुक़द्दमा के कलीदी मुल्ज़िम भरत भाई मोहन राटीशोर की दरख़ास्त ज़मानत आज मुस्तरद कर दी।

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस मीनावी गोम्बर पर मुश्तमिल डीवीजन बेंच‌ ने दरख़ास्त ज़मानत को मुस्तर्द करते हुए ये एहसास ज़ाहिर किया कि मुक़द्दमा के रिकार्ड और अब तक की पेशरफ्त को मल्हूज़ रखते हुए इस मरहला पर ज़मानत मंज़ूर करना मुनासिब नहीं लगता।

वकील दिफ़ा जी एस गिल ने अदालत में ये दलील पेश की कि भरत भाई पहली चार्ज शीट में एक गवाह था और दूसरी चार्ज शीट में उसे मुल्ज़िम बना दिया गया। वकील ने इस बात पर भी ऐतराज़ किया कि तहक़ीक़ाती एजेंसी एन आई ए ने इस मुक़द्दमा में भरत भाई के बयान की वीडीयो तैयार की, लेकिन उसकी नक़ल उन्हें नहीं दी गई।

एडीशनल सालीसीटर जनरल आफ़ इंडिया एस एस राघव ने दरख़ास्त ज़मानत की मुख़ालिफ़त करते हुए कहा कि भरत भाई को उस वक़्त गिरफ़्तार किया गया जब इसका नाम एक और कलीदी मुल्ज़िम असीमानंद ने अपने बयान में लिया। उन्होंने कहा कि ये एक मुस्लिमा हक़ीक़त है कि सुनील जोशी जिसका क़त्ल कर दिया गया और जो इस सारे वाक़िया का असल सरग़ना है इसने धमाकों के फ़ौरी बाद पहला काल भरत भाई को किया था और इसने अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने से उसे वाक़िफ़ कराया था।