अज़ीज़ क़ैसी (1931-1992)

हैदराबाद से फिल्मी दुनिया में नाम कमाने वालों में अज़ीज़ क़ैसी एक बड़ा नाम था। दयावान, कुँवारा बाप और अंकुर जैसी मशहूर फिल्में उन्होंने लिखीं। शायरी में उनकी ग़ज़लें और नज़्में मशहूर रहीं। जगजीत सिंह की आवाज़ में उनकी एक मशहूर ग़ज़ल दुनिया भर में पहुंची, यहां पेश है।

आपको देखकर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया

उनकी आँखों में कैसे छलकने लगा
मेरे होंटों पे जो माजरा रह गया

ऐसे बिछड़े सभी राह के मोड़ पर
आखरी हमसफ़र रास्ता रह गया

सोच कर आओ कूए तमन्ना है ये
जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया

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