भारतीय जनता पार्टी में अब अटल, आडवाणी और जोशी का दौर पूरी तरह से खत्म हो गया है और इसका सबूत है अमित शाह की नई टीम, जिसमें उन्हें पार्लीमानी बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखाया गया है |
भारतीय जनता पार्टी के कौमी सदर अमित भाई शाह ने मंगल के रोज़ पार्टी के मरकज़ी पार्लीमानी बोर्ड की तश्कील की है, जिसमें बीजेपी के साबिक वज़ीर ए आज़म अटल बिहारी वाजपेयी, सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को जगह नहीं दी गई है |
हालांकि, सीनियर लॊईडरों को खपाने के लिए बीजेपी ने एक रहनुमा मंड (Guiding Circles) की तश्कील किया, जिसमें बीजेपी के बुजुर्ग हो चले लीडरों अटल, अडवाणी और जोशी को जगह दी गई. इस Guiding Circles का मेम्बर वज़ीर ए दाखिला राजनाथ और वज़ीर ए आज़म मोदी को भी बनाया गया है |
आपको बता दें कि बीजेपी में पार्लीमानी बोर्ड सबसे बड़ी इदारा है | पार्लीमानी बोर्ड ही तमाम फैसले लेता है. किसी को पार्टी से निकालने या लेने का फैसला यही बोर्ड करता है |
पार्लीमानी बोर्ड की तश्कील पर पार्टी के सीनिर लीडर आडवाणी और जोशी के जवाब सामने नहीं आये है. अमित शाह ने ये फैसला सभी बड़े लीडरों से तबाद्ला ख्या करने के बाद किया है |
ये हैं मरकज़ी पार्लीमानी बोर्ड के नए रुकन :
1. अमित शाह (सदर )
2. नरेन्द्र मोदी (वज़ीर ए आज़म )
3. राजनाथ सिंह ( वज़ीर ए दाखिला)
4. अरूण जेटली (फायनेंस मिनिस्टर)
5. सुषमा स्वराज (वज़ीर ए खारेज़ा)
6. एम. वैंकेया नायडू ( शहरी तरक्कियाती के वज़ीर)
7. नितिन गडकरी (शिपिंग और ट्रांस्पोर्ट)
8. अनंत कुमार (केमिकल और खाद )
9. थावरचंद गेहलोत ( सामाजी इंसाफ और दायर इख्तेयार)
10. शिवराज सिंह चौहान (मध्यप्रदेश के सीएम)
11. जगत प्रकाश नड्डा (जनरल सेक्रेटरी)
12. रामलाल (जनरल सेक्रेटरी)
इस नए फहरिस्त को अगर पार्लीमानी बोर्ड के पुराने फहरिस्त से मुकाबला किया जाए तो तीन नाम निकाले गए हैं तो तीन नए नाम जोड़े गए हैं, बाकी सभी मेम्बर्स सदस्यों को जस का तस रखा गया है |
नए पार्लीमानी बोर्ड में जो तीन नए चेहरे शामिल किए गए हैं उनमें जेपी नड्डा, शिवराज सिंह चौहान और खुद पार्टी सदर अमित शाह हैं.
आप जानना चाहेंगे क्यों अहम हैं अटल, आडवाणी और जोशी?
अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी बीजेपी के बानी रुकन हैं और यही लीडर पार्टी को उचाई पर ले गए. इन लिईडरों के बिना बीजेपी की तसव्वुर नहीं किया जा सकता |
बीजेपी का ज़हूर 1980 में हुआ और तब पार्टी को लोकसभा चुनाव में महज़ दो सीट मिले. दिल्ली की इक्तेदार पर पार्टी ने पहली बार 1996 में दस्तक दो दी, लेकिन पटखनी खा गए | पार्टी कोशिश में लगी रही हैं और वाजपेयी की कियादत में पार्टी ने 1998 में इत्तेहाद की हुकूमत बनाया और छह साल तक बीजेपी की हुकूमत रही |
आप जानना चाहेंगे कि पार्लीमानी बोर्ड क्या है ?
1. बीजेपी में पार्लीमानी बोर्ड फैसले लेने वाली सबसे बड़ी इदारा है
2. टिकट बंटवारे और उम्मीदवारों के सेलेक्शन पर आखिरी मुहर भी बोर्ड ही लगाता है
3. पार्टी का खाका भी बोर्ड तैयार करता है.
4. किसी भी अहम मुद्दे पर फैसला लेने का हक भी सिर्फ बोर्ड के पास होता है.
5. पार्टी सदर ही बोर्ड का भी सदर होता है