अडवानी की वज़ारते अज़मा की दौड़ से दूरी

बी जे पी में क़ियादत की दौड़ ऐसा लगता है कि अब बहुत वाज़िह होने लगी है और शायद इसी वजह से और पार्टी के इमेज को मुतास्सिर होने से बचाने केलिए पार्टी के सीनीयर लीडर मिस्टर एल के अडवानी ने वज़ारत अज़मी की दौड़ से अलैहदगी इख़तियार करली । मिस्टर अडवानी ने कल ये वाज़िह किया कि वो मुल़्क की वज़ारत अज़मी की दौड़ में शामिल नहीं हैं और उन केलिए ये ओहदा ज़्यादा एहमीयत नहीं रखता । बी जे पी सिंह परिवार और उन के चाहने वालों ने उन्हें वज़ारत अज़मी से ज़्यादा इज़्ज़त-ओ-एहतिराम से नवाज़ा है । पार्टी में गुज़शता दिनों से सयासी उथल पुथल का आग़ाज़ हुआ है और ऐसा लगता है कि मुलक के हालात को देखते हुए बी जे पी ने एक हिक्मत-ए-अमली के तहत सयासी उथल पुथल का आग़ाज़ किया है । मुल्क भर में कांग्रेस और बरसर-ए-इक्तदार यू पी ए के ताल्लुक़ से जो अवामी ब्रहमी पैदा हो रही है और अवाम जो बेज़ार हो रहे हैं इस से बी जे पी फ़ायदा उठाना चाहती है । इसी लिए एक हिक्मत-ए-अमली के तहत नरेंद्र मोदी को एक मख़सूस गोशा की जानिब से वज़ारत अज़मा उम्मीदवार के तौर पर पेश करने की कोशिश की जा रही है । बी जे पी के ताल्लुक़ से समझा जाता था कि मिस्टर अडवानी ही वज़ारत अज़मी उम्मीदवार की दौड़ में सब से आगे हैं और मौजूदा क़ाइदीन में कम अज़ कम कोई भी उन के ख़िलाफ़ अपनी उम्मीदवारी का दावे पेश करने की कोशिश नहीं करेगा ताहम नरेंद्र मोदी को एक गोशा की जानिब से उभारा जा रहा है और ऐसा लगता है कि ख़ुद एल के अडवानी अपनी पार्टी को इक़तिदार दिलाने केलिए सयासी चालबाज़यों का अमल शुरू करचुके हैं। उन्हों ने अपनी वज़ारत अज़मी दावेदारी से दसतबरदारी का ऐलान करते हुए नरेंद्र मोदी की क़ियादत में कट्टर फ़िऱ्का परस्त अनासिर को मुत्तहिद करने की कोशिश की है । एक तरह से नरेंद्र मोदी अब बी जे पी में अडवानी के जांनशीन बनते जा रहे हैं। जिस वक़्त अटल बिहारी वाजपाई सरगर्म थे उस वक़्त उन्हें एतिदाल पसंद और अडवानी को कट्टर पसंद क़रार दिया जाता था लेकिन नरेंद्र मोदी की फ़िर्कापरस्ती के सामने अब ऐसा ज़ाहिर किया जा रहा है कि ईल के अडवानी फीके पड़ गए हैं इसी लिए शायद अडवानी ने ख़ुद को पीछे करते हुए मोदी केलिए रास्ता साफ़ करने की कोशिश शुरू करदी है और ये एक हिक्मत-ए-अमली का हिस्सा होसकता है । नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से गुलबर्ग सोसायटी क़तल-ए-आम केस को सुप्रीम कोर्ट की जानिब से अहमदाबाद की अदालत को मुंतक़िल किए जाने का फ़ायदा उठाते हुए अवाम को गुमराह करने की कोशिश की है इसी के साथ वो ख़ुद को क़ौमी सतह पर उभारने की कोशिश कर रहे हैं। जब अना हज़ारे ने कुरप्शन के ख़िलाफ़ सारे मुल्क में हंगामा करदिया और अवाम ने ग़ैर मुतवक़्क़े हद तक उन की ताईद की तो एल के अडवानी ने माहौल से फ़ायदा उठाने कुरप्शन के ख़िलाफ़ रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया । अभी इस यात्रा के मंसूबे बन ही रहे थे कि नरेंद्र मोदी ने सद्भावना भूक हड़ताल का ऐलान करदिया । सुप्रीम कोर्ट की रोलिंग को मोदी और उन के साथीयों की जानिब से जिस अंदाज़ से पेश किया गया इस से सारा मुल़्क वाक़िफ़ है लेकिन इस से सयासी फ़ायदा उठाने की कोशिश में नरेंद्र मोदी ने इस लिए जलदबाज़ी की क्योंकि वो अहमदाबाद से दिल्ली तक का सफ़र काफ़ी तेज़ी से तए करना चाहते हैं। शायद यही वजह थी कि उन्हों ने अडवानी की यात्रा से पहले ही अपनी भूक हड़ताल का आग़ाज़ करते हुए ज़राए इबलाग़ के मख़सूस गोशों के ज़रीया सारे मुल़्क की तवज्जा हासिल करने की कोशिश की । नरेंद्र मोदी ने तीन दिन भूक हड़ताल तो की है लेकिन वो इस भूक हड़ताल की मौजूदा हालात में ज़रूरत को वाज़िह करने में कामयाब नहीं रहे या उन के ख़्याल में वज़ाहत की कोई ज़रूरत ही नहीं है । जिस वक़्त गुजरात जलाया जा रहा था तो उन अनासिर को मोदी और उन के साथीयों की मदद और ताईद हासिल रही । गुजरात फ़साद के मुतास्सिरीन आज तक इंसाफ़ के तलबगार हैं। ख़ातियों को सज़ा देने से ज़्यादा गवाहों को धमकाने की कोशिशें की जा रही हैं । सारे मुल्क में जब गुजरात फ़साद की वजह से इज़तिराब था उस वक़्त मोदी ने सद्भावना की ज़रूरत महसूस नहीं की बल्कि उन्हों ने पुलिस ओहदेदारों को हिदायत दी कि हिन्दुवों को ग़ुस्सा निकालने का मौक़ा दिया जाय क्योंकि मुस्लमानों को सबक़ सिखाना ज़रूरी है । कई पुलिस ओहदेदार उस की तौसीक़ करते हैं। बी जे पी को ये उम्मीद होगई है कि जिस तरह अना हज़ारे ने कुरप्शन के ख़िलाफ़ मुल्क में शऊर बेदार किया था और अवाम ने हुकूमत से बेज़ारगी का इज़हार किया है । जिस तरह मुसलसल अस्क़ामस ने हुकूमत से अवाम को मायूस किया है जिस तरह मुसलसल बढ़ती महंगाई ने अवाम की ब्रहमी में इज़ाफ़ा किया है इस से वो फ़ायदा उठाते हुए एक बार फिर इक़तिदार हासिल करने में कामयाब हो जाएगी । बी जे पी हमा रुख़ी हिक्मत-ए-अमली इख़तियार करना चाहती है । एक तरफ़ अवामी मसाइल पर अवाम को ब्रहम करते हुए ताईद हासिल करना इस का मक़सद है तो दूसरी जानिब मोदी को बढ़ावा देते हुए कट्टर पसंदों के वोट हासिल करना चाहती है । ये हिक्मत-ए-अमली मनफ़ी सोच का नतीजा है क्योंकि बी जे पी के पास ख़ुद कोई मुसबत पालिसी का सोच नहीं है ।