बैंगलोर: कांग्रेस के नायब सदर राहुल गांधी ने पार्लियामेंट के सरमाई सेशन के आग़ाज़ से क़बल कहा है कि उनकी पार्टी भी जी एसटी पर पुख़्ता यक़ीन रखती है लेकिन हुकूमत को चाहिए कि वो शरह की हद के बिशमोल बाज़ दीगर मसाइल पर बातचीत के लिए अपोज़िशन तक रसाई हासिल करे। कांग्रेस के रुकन पार्लियामेंट ने गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स (जी एसटी) जैसे हिसाब बल पर अपनी पार्टी का मौक़िफ़ वाज़िह किया।
इस दौरान उन्होंने मोदी हुकूमत को सख़्त तरीन तन्क़ीदों का निशाना बनाते हुए कहा कि ये सूट बूट की सरकार से भी बदतर है जो सूट बूट पहनने वाले छः चंद कॉर्पोरेट्स की मदद करना चाहती है, बी जे पी सरमाई इजलास में इस बिल की मंज़ूरी को यक़ीनी बनाए मुम्किना कोशिश कर रही है।
राहुल गांधी ने बैंगलोर में वीमेंस कॉलेज की तालिबात से तफ़सीली तबादला-ए-ख़्याल के दौरान मुख़्तलिफ़ सवालों का जवाब दिया। उन्होंने बढ़ती हुई अदम रवादारी पर इज़हार-ए-ख़याल करते हुए कहा कि बहैसियत हिन्दुस्तानी मुझे भी इस पर शदीद तकलीफ़ है। राहुल ने बढ़ती हुई अदम रवादारी की मज़म्मत करते हुए जियो और जीने दो के नज़रिया को मुल्क की सबसे बड़ी ताक़त क़रार दिया।
नरेंद्र मोदी को तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि वो (मोदी) समझते हैं कि महेज़ एक वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर(पी एम ओ) के ज़रिये सारा मुल़्क चलाया जा सकता है और वो (मोदी समझते है कि ) तन-ए-तन्हा सारे मुल्क को बदल सकते हैं। राहुल गांधी ने सारे मुल्क के यूनीवर्सिटीज़ कैम्पस में तलबा तक रसाई का मन्सूबा बनाया है।
आज की मुलाक़ात इस सिलसिले की पहली कड़ी थी। मोदी सरकार के अंदाज़-ए-कारकर्दगी पर तन्क़ीद करते हुए राहुल ने कहा कि मर्कज़ में चंद अफ़राद ही फ़ैसले करने का इख़तियार रखते हैं और सिर्फ फ़र्दे वाहिद ही तमाम फ़ैसला करता है। कांग्रेस लीडर ने कहा कि कोई एक शख़्स तमाम सवालात का जवाब नहीं दे सकता बल्कि अक्सर मसाइल की यकसूई के लिए मुज़ाकरात काफ़ी एहमियत रखते हैं।
अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि बढ़ती हुई अदम रवादारी के मसले को जो इंतेहाई तकलीफ़-दह है, पार्लियामेंट में उठाया जाएगा। अदम रवादारी के मसले पर सारे हिन्दुस्तान को तशवीश है लेकिन वज़ीर-ए-आज़म इस मसले पर ख़ामोश हैं। जी एसटी की एहमियत को उजागर करते हुए राहुल ने कहा कि सबसे पहले कांग्रेस ने ये बिल तैयार किया था और हमने इस बिल की ताईद की थी लेकिन बी जे पी ने तीन साल तक इस बिल को रोक रखा और हती कि वज़ीर फाईनेंस अरूण जेटली ने जो उस वक़्त अपोज़िशन में थे, पार्लियामेंट की कार्रवाई में रख़्ना अंदाज़ी को एक हिक्मत-ए-अमली के तौर पर हक़बजानिब क़रार दिया था।
राहुल ने कहा कि मोदी हुकूमत अपोज़िशन से बातचीत करना नहीं चाहती। वज़ीर-ए-आज़म ने कभी फ़ोन उठाकर किसी अपोज़िशन लीडर से कोई मसले पर बातचीत नहीं की जबकि उन के पेशरू मनमोहन सिंह अक्सर अपोज़िशन से बातचीत किया करते थे।