अदलिया और मुख़ालिफ़ीन पर ज़रदारी की तन्क़ीद

ईस्लामाबाद, २८ दिसम्बर: (पी टी आई) पाकिस्तान के मुश्किलात से दो-चार सदर आसिफ़ अली ज़रदारी ने आख़िर-ए-कार आज अपनी ख़ामोशी का सिलसिला तोड़ते हुए मुख़ालिफ़ीन पर शदीद तन्क़ीद की और साथ ही साथ अदलिया पर भी सिर्फ हुकूमत के ख़िलाफ़ मुक़द्दमात के सिलसिला में फुर्ती दिखाने पर नाराज़गी का इज़हार किया।

साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म बेनज़ीर भुट्टो की चौथी बरसी के मौक़ा पर सूबा सिंध के गढ़ी ख़ुदाबख़्श में वाक़्य भुट्टो ख़ानदान की यादगार के क़रीब जलसा से ख़िताब करते हुए आसिफ़ अली ज़रदारी ने हुक्मराँ पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के ताल्लुक़ से जारी अंदेशों को यकसर मुस्तर्द कर दिया। मेमो स्कैंडल और फ़ौज के साथ तात्तुल की बिना मौजूदा हुकूमत की बक़ा के ताल्लुक़ से कई सवाल उभर रहे हैं।

आसिफ़ ज़रदारी ने कहा कि हम तारीख़ बनाना चाहते हैं और शहि सुर्ख़ीयों में रहना नहीं चाहती। उन्हों ने बुलेट प्रफ़ू स्क्रीन के पीछे से ख़िताब करते हुए कहा कि सियासत एक ऐसा फ़न है जिस में नामुमकिन को मुम्किन बनाया जा सकता है और उन्हें यक़ीन है कि फ़िलहाल वो नामुमकिन काम अंजाम दे रहे हैं।

आसिफ़ ज़रदारी के 6 डसमबर को ईलाज के ग़रज़ से दुबई रवानगी और इस के बाद से जारी क़ियास आराईयों के पस-ए-मंज़र में इन का ये पहला तबसरा है । उन्हों ने कहा कि एक वज़ीर तक़रीबन दीढ़ साल से जेल में है लेकिन इस का कोई भी नोट नहीं ले रहा ही। इस के बरअक्स दीगर मुक़द्दमात पर ज़्यादा तवज्जा दी जाती है।

ज़रदारी ने कहा कि पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने माज़ी में कई आज़माईशों का सामना किया और वक़्त आने पर फिर हम अवाम से रुजू होंगे और उन्हें इख़तियार है कि जो चाहे दस्तूर के हदूद में रहते हुए अपना फ़ैसला सुनाई। आज आसिफ़ ज़रदारी काफ़ी सेहत मंद नज़र आरहे थे और तक़रीर के दौरान उन्हें कई मर्तबा मुस्कुराते हुए देखा गया।

आसिफ़ अली ज़रदारी ने आज अपने तमाम हम वतनों से अपील की कि वो जमहूरी इदारों के ख़िलाफ़ तमाम साज़िशों को नाकाम बना दें। इन का ये तबसरा फ़ौज और मुंख़बा हुकूमत के दरमयान खु़फ़ीया मुरासला स्कैंडल के सिलसिले में बढ़ती हुई कशीदगी के पस-ए-मंज़र में एहमीयत रखता है। अपनी बीवी साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म बेनज़ीर भुट्टो मरहूमा के क़तल का हवाला देते हुए उन्हों ने कहा कि चार साल क़बल आज ही के दिन बेनज़ीर का क़तल हुआ था।

ज़रदारी ने कहा कि आज हम उन्हें ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश कर रहे हैं। इस का बेहतरीन तरीक़ा ये है कि हम जमहूरीयत का दिफ़ा और तहफ़्फ़ुज़ करें। मलिक के जमहूरी इदारों के ख़िलाफ़ की जाने वाली तमाम साज़िशों को नाकाम बना दें।