सुप्रीम कोर्ट ने दस्तूरी स्कीम के तहत सहाफ़ीयों के लिए हद मुक़र्रर की है और अदालतों की कार्यवाईयों की रिपोर्टिंग के लिए रहनुमा या ना ख़ुतूत वज़ा करने की कोशिश की है । 5 रुकनी जजेस ( न्यायधीश) की दस्तूरी बंच को मर्कज़ से भी इस मसला पर हिमायत हासिल है ।
बंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को मीडीया की जानिब से अदालती कार्रवाई की रिपोर्टिंग के लिए एक हद मुक़र्रर करने कोई दस्तूरी रुकावट नहीं है । जस्टिस एस एच कपाडि़या पर मुश्तमिल बंच का एहसास है कि हम चाहते हैं कि सहाफ़ी अपने हदूद से वाक़िफ़ रहें ।