अदालती फैसले में बुर्का बन रहा है रुकावट

ब्रिटेन में एक जज ने बुर्क़ा पहनने वाली एक मुस्लिम खातून को मुक़दमे की सुनवाई में शामिल होने से मना कर दिया है। ज का कहना है कि जब तक वह खातून अपनी शक्ल नहीं दिखाती तब तक वह अदालती कार्यवाही का हिस्सा नहीं बन सकती हैं।

ब्रिटेन के हैकनी इलाक़े की 21 साल की इस खातून पर एक गवाह को डराने का इल्ज़ाम था। खातून ने कहा कि वह मर्दों के सामने अपना बुर्क़ा नहीं उतार सकती हैं क्योंकि उनका मज़हब इसकी इजाज़त नहीं देता है।

हालांकि जज पीटर मर्फ़ी ने कहा कि वह ऐसा नक़ाब पहनकर मुक़दमे की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकती हैं जिसमें सिर्फ उनकी आंख नज़र आती है।उनका कहना था कि बुर्क़े की वजह से खातून की पहचान की तस्दीक नहीं की जा सकती है।

उस खातून को अब ब्लैकफ्रायर्स क्राउन अदालत में 12 सितंबर को हाज़िरी देनी है। जज मर्फ़ी ने कहा कि खुले इंसाफ का असूल किसी खातून की मज़हबी तस्लीम को रद्द करता है।

उन्होंने यह वार्निंग दी कि अगर वह अपना चेहरा नहीं दिखाती हैं तो उनकी जगह किसी दूसरी खातून् के अदालती कार्यवाही में शामिल होने का ख़तरा बढ़ सकता है।

उनका कहना था, “इस अदालत के लिए यह जरूरी है कि वह मुदा आलिया (Defendant) की पहचान कर सके। हालांकि मैं साफ तौर पर अदालत के बाहर उनके खाहिंश के मुताब पहनावे के हुकूक का एहतेराम करता हूं लेकिन इंसाफ से जुड़े मुफाद सर फहरिस्त हैं।”

उन्होंने कहा, “एक जज के तौर पर मैं किसी ऐसे शख्स के मुक़दमे को कुबूल नहीं कर सकता हूं जिसकी सही पहचान ना तय हो पाए।” एक खातून वकील क्लेयर बर्टविस्टल ने अदालत में कहा कि वह खातून मर्दो के सामने अपना पर्दा हटाने के लिए तैयार नहीं हैं।

उन्होंने यह सुझाव दिया कि एक खातून पुलिस आफीसर या जेल के मुलाजिम उनकी पहचान कर सकते हैं और अदालत में इसकी तस्दीक कर सकते हैं। हालांकि जज मर्फ़ी ने इस तजवीज को ख़ारिज कर दिया और कहा, “यह तय करना मेरे लिए जरूरी है कि अदालत किनके मुक़दमे पर सुनवाई कर रही है।”

“यहां ख़ुले इंसाफ का असूल है और इसका मुदा आलिया (Defendant) के मज़हब से कोई ताल्लुक नहीं है।”

जज मर्फी ने इस क़ानूनी दलील के लिए मामले को फिलहाल मुल्तवी कर दिया कि मुदा आलिया (Defendant) को अपना बुर्क़ा हटाना चाहिए या नहीं।

ऐसी उम्मीद है कि खातून जब अदालत में फिर पेश होंगी तो वह अपने बेक़सूर होने का दावा पेश करेंगी |