सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केन्द्र या राज्य सरकार बार-बार अध्यादेश जारी नहीं कर सकती। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने एक फैसले में कहा कि पहले जारी हो चुके अध्यादेशों को दोबारा जारी करना संविधान के साथ छल करने जैसा है।
कोर्ट ने कहा कि यह लोकतांत्रिक विधायी प्रक्रिया की भी उपेक्षा है। खास तौर से जब सरकार अध्यादेश को विधायिका के सामने रखने से बच रही हो। बता दें कि शत्रु सम्पत्ति अध्यादेश सहित कई कानून बार-बार अध्यादेश के जरिए आगे बढ़ाए गए हैं।
सात में से पांच जजों ने अध्यादेश को विधायिका के समक्ष पेश करने के कानून को अनिवार्य बताया, जबकि चीफ जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर और जस्टिस मदन लोकुर ने इससे असहमति जताई। जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, आदर्श कुमार गोयल, उदय उमेश ललित, धनंजय चंद्रचूड और एल नागेर राव ने बहुमत से फैसाला सुनाया।