अना हज़ारे की मुहिम!

जारीया साल के इख़तताम पर दिल्ली सख़्त सर्दी की लहर से गुज़र रहा है। इस तरह के मौसम से कुछ सुझाई नहीं दे रहा है। लोग साल के ख़तम् पर नए साल के इस्तिक़बाल में मसरूफ़ नज़र आरहे हैं ताहम इस पर किसी क़दर उलझन भी दिखाई दे रहा है।

सब से बड़ा मसला गानधयाई क़ाइद-ओ-मुमताज़ समाजी कारकुन अना हज़ारे और उन की टीम का ही। क्यों कि गुज़श्ता रोज़ यानी मंगल को लोक पाल बिल काबीना में पेश करके मंज़ूर कर लिया गया ताहम टीम अन्ना ने हुकूमत के तैयार करदा लोक पाल मुसव्वदा को मुस्तर्द करदिया और कहाकि वो 27 दिसम्बर से लोक पाल बल के ख़िलाफ़ मुल्क गीर सतह पर जेल भरो मुहिम शुरू करेंगे।

अना टीम ने लोक पाल पर इन दिनों भरपूर तवज्जा दे रखा है। दूसरी तरफ़ सैंकड़ों हिंदूस्तानी इस मुहिम में शरीक होने का इमकान है। और राईट विंग की सयासी जमातें अपने मंसूबों को लिए आगे बढ़ रहे हैं। इन को अपना मुहासिबा करने की ज़रूरत है जबकि बाअज़ बड़े क़ाइदीन इस पर ख़ामोशी इख़तियार करते हुए तमाशा देख रहे हैं। इस वक़्त जो अफ़राद सख़्त लोक पाल बल का मुतालिबा कर रहे हैं उन के अतराफ़ भी बाअज़ ज़ाफ़रानी अफ़राद नज़र आरहे हैं। क्या ऐसे अफ़राद कुमलक के हालात का बख़ूबी अंदाज़ा नहीं है।

भारतीय जनता पार्टी और आर ऐस ऐस जैसी सयासी पार्टीयां इस मौक़ा को हाथ से जाने नहीं देना चाहती हैं और अना हज़ारे की तहरीक के साथ काफ़ी आगे बढ़ रही हैं। अना टीम को ऐसी जमातों की ताईद को पेशे नज़र रखते हुए बरसर-ए-इक्तदार यू पी ए की कांग्रेस हुकूमत इस का ख़ूब अंदाज़ा लगा चुकी है।

ये लोग लोक पाल बल के लिए नहीं बल्कि किसी दूसरे मक़सद के तहत अपनी ताईद कररही हैं और आगे चल कर अक़ल्लीयतों को मज़ीद निशाना बना सकते हैं। इस काम के लिए चंद मुस्लमानों का भी सहारा ले रहे हैं उस वक़्त मलिक के अक़ल्लीयतों के हालात इंतिहाई अबतर ही। ज़राए से पता चला कि दिसम्बर 2011 -ए-के पहले हफ़्ता में उड़ीसा रियासत के कवीनझार ज़िला के 12 ईसाई ख़ानदानों को निशाना बनाया गया और उन पर हमले किए गई। इस तरह के और भी कई हमलों की मिसालें हैं।

अना हज़ारे और उन के साथ सैंकड़ों मुतवस्सित तबक़ा के अफ़राद मुल्क गीर सतह पर रिश्वत सतानी के ख़िलाफ़ चलाई जाने वाली इस मुहिम में शरीक होरहे हैं लेकिन दूसरी तरफ़ तशद्दुद और कम्यूनिज़म के ख़िलाफ़ इस तरह की कोई मुहिम शुरू नहीं की गई क्योंकि फ़िर्कावाराना तशद्दुद में हर साल सीनकड़ं अफ़राद हलाक होरहे हैं। इस तरह के वाक़ियात मुल्क़् के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर पेश आ रहे हैं।

ऐसे हमलों में ख़ासकर अक़ल्लीयती तबक़ा के अफ़राद जैसे मुस्लिम, ईसाई और सिक्ख मत के अफ़राद निशाना बन रहे हैं। फ़िर्कावाराना तशद्दुद के ख़िलाफ़-ए-क़ानून साज़ी के लिए पार्लीमैंट में फ़ौरी तौर पर बिल पेश करते हुए इस को मंज़ूर किया जाना चाहीए ताकि फ़िर्कावारीयत का इंसिदाद किया जा सके।

अगर ऐसा नहीं किया गया तो फ़िर्क़ा परस्तों के हौसले मज़ीद मुस्तहकम होंगी। और उन्हें खुली छूट देने के मुमासिल साबित होगा। हुकूमत को चाहीए कि वो फ़िर्कावाराना तशद्दुद बिल 2011 का बारीकी से जायज़ा ले और ज़रूरत पड़ने पर इस में तरमीम भी करे ताकि मलिक के अक़ल्लीयतों को तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम होसकी।

इस बिल को सी वे प्रीवेन्शन बिल भी कहा जाता ही। इस बल को जारीया साल के इबतदा-ए-में नैशनल एडवाइज़री कौंसल और मर्कज़ी हुकूमत के तआवुन-ओ-इश्तिराक से तैय्यार किया गया था। ऑल इंडिया क्रिस्चन कौंसल, हियूमन राईट्स, फ़्रीडम आफ़ फ़ेथ फ़ोर्म के इलावा दीगर तंज़ीमों ने इस मुहिम को शुरू किया था। इस सिलसिला में बड़े बड़े इजलास भी मुनाक़िद किए गये।

बैंगलौर, मैसूर, पुने और पंचकूला में पोस्टर मुहिम चलाई गई और इस मौक़ा पर मुल्क गीर सतह पर इस तरह मुहिम शुरू करने का अह्द किया गया। कैथोलिक बिशप कान्फ़्रैंस आफ़ इंडिया, नैशनल कौंसल आफ़ चरचस और दीगर कई ग़ैर सरकारी तंज़ीमों से ख़ाहिश की गई थी कि वो भी इस तहरीक में शामिल होजाएं। इस तहरीक को मज़ीद मुस्तहकम बनाने के लिए बुनियादी सतह पर काम करने पर ज़ोर दिया गया। मज़कूरा बिल में तबदीली से ये अक़ल्लीयतों के लिए काफ़ी सूदमंद साबित होसकता है।

बल के बाद तशद्दुद पर बहुत हद तक क़ाबू पाया जा सकता है क्यों कि 1947 -ए-में मुल्क को आज़ादी मिलने के बाद से फ़िर्कावारीयत में दिन बदिन इज़ाफ़ा ही होता जा रहा है। इस पर कंट्रोल करना लाज़िमी है बसूरत-ए-दीगर मुस्तक़बिल में फ़िर्कावाराना तशद्दुद के मज़ीद वाक़ियात को मुस्तर्द नहीं किया जा सकता। आज़ादी के बाद से सैंकड़ों अफ़राद इंसाफ़ की जंग लड़ रहे हैं।

गुज़श्ता 10 बरसों के दौरान 6 हज़ार फ़िर्कावाराना तशद्दुद के वाक़ियात पेश आए हैं। इस की तफ़सीलात ख़ुद हुकूमत ने फ़राहम की है। मैं यहां फ़िर्कावाराना पर जब लिख रही हूँ तो ये भी बता देना चाहती हूँ कि ना सिर्फ सियासतदानों का हाथ है बल्कि इंतिज़ामीया की कोताही भी शामिल है जो बढ़ कर ख़तरनाक रुख इख़तियार कर रहा है।

फ़िर्कावाराना तशद्दुद से हज़ारों नहीं बल्कि सैंकड़ों ख़ानदान मुतास्सिर हो गए हैं और हो रहे हैं। ऐसे अफ़राद से बुनियादी तौर पर इंसाफ़ करते हुए इन केलिए राहत कारी इक़दामात किया जाना चाहीये। ऐसे में अन्ना टीम ने एक मुस्तहकम लोक पाल बल के लिए जिस तरह एक मुहिम छेड़कर अपने आप को उभारा है इसी तरह फ़िर्कावाराना तशद्दुद के ख़िलाफ़ भी एक मुहिम शुरू करें ताकि ये पता चल सके कि वो ना सिर्फ किसी एक काज़ के लिए काम कररहे हैं बल्कि सारी क़ौम के लिए ख़िदमात अंजाम दे रहे हैं।

ज़रूरत इस बात की है कि अब वो किसी एक बल की हद तक ना रहें बल्कि मुल्क और क़ौम की तरक़्क़ी के लिए इस तरह के कामों में भी अपनी टीम को आगे लेकर चलें जिस से ना सिर्फ उन का मुस्तक़बिल रोशन होगा बल्कि क़ौम के साथ इंसाफ़ की भी उमीद रखी जा सकती है।