अनीसुलग़ोरबा में यतीमों का इफ़तार

हम ने अनीसुल ग़ोरबा के बारे में कई एक रिपोर्टस पेश किए थे जिस में यतीमों-ओ-यसीरों के माल को हड़पने वालों को बेनकाब किया गया था । रमज़ानुल-मुबारक के दौरान इन बच्चों की हालत-ए-ज़ार का जायज़ा लेने ऐन इफ़तार के वक़्त वहां पहुंचे तो ये देख कर बहुत अफ़सोस हुआ कि इन मासूमों के सामने रखी रकाबियों में एक खजूर थोड़ी सी दाल और मौज़ का आधा टुकड़ा पड़ा हुआ है।

हम ने फ़ौरी क्याशियर से इस तरह के हालात की वजह दरयाफ़त की वो मुबहम सा जवाब दे कर ख़ामोश होगया । जब हम ने दरयाफ़त किया कि आज कितनी रक़म लोगों ने जमा करवाई है तो इस ने बताया कि सुबह से अब तक 21300 रुपये जमा होपाए हैं।

इफ़तार पर ख़र्च की जाने वाली रक़म से मुताल्लिक़ इस्तिफ़सार पर इस ने बताया कि इफ़तार पर 200 रुपये ख़र्च किए हैं । इस के इस जवाब पर हमें अफ़सोस हुआ । ये बच्चे जिन की उमरें 14 साल से कम हैं पाबंदी से रोज़ों का एहतिमाम कर रहे हैं लेकिन इंतिज़ामीया काफ़ी रक़म मौसूल होने के बावजूद उन के इफ़तार पर ख़र्च करने से गुरेज़ कररहा है ।

इस बात का भी पता चला है कि सिर्फ़ रमज़ान के इबतिदाई दस दिनों में 151806 रुपये की रक़म बतौर अतीया वसूल हुई आप को ये भी बतादें कि उनीसुलग़ोरबा-के नाम पर 5 बरसों से तक़रीबा दो करोड़ रुपये फिक्स्ड डिपाज़िट किए गए हैं और इस रक़म का कोई इस्तिमाल नहीं है । इसे में कम अज़ कम उन यतीम-ओ-यसीर बच्चों के लिये इफ़तार का तो बेहतर इंतिज़ाम किया जाना चाहीए ।।