बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर नए BCCI अध्यक्ष बनने जा रहे हैं. वो सबसे कम उम्र के इस पोस्ट पे पहुँचने वाले इंसान होंगे लेकिन जिस तरह वो इस पोस्ट पर पहुंचे हैं वो सोचने लायक़ और एक चिंता की बात है.
जहां एक ओर मीडिया उत्तर प्रदेश और बिहार के नेताओं को राजनीति की वजह से हो रहे लाभ की ख़बरें दिखाती है जब ये लाभ दूसरे प्रदेशों के नेताओं को मिल रहा होता है तो वो ख़ामोशी इख्तियार कर लेती है. जी, मुद्दा असल में कुछ यूं ही है अनुराग ठाकुर ने अपने पिता प्रेम कुमार धूमल के रसूख का फ़ायदा उठाते हुए सबसे पहले तो HPCA की अध्यक्ष की पोस्ट पे अपना क़ब्ज़ा जमा लिया उसके बाद BCCI में किसी बड़ी पोस्ट के लिए जगह बनाने के लिए एक मैच खेल डाला. असल में BCCI में अगर किसी को पोस्ट चाहिए तो उसे पूर्व में क्रिकेटर होना चाहिए, अपनी इस कमी को पूरा करने के लिए वो एक दिन अचानक ही मैदान पर पहुँच गए और जम्मू और कश्मीर के ख़िलाफ़ हो रहे मुक़ाबले में खेलने की ज़िद करने लगे, अब भला साहब की ज़िद कौन टाल सकता है तो ठीक है खेलिए साहब लेकिन इतने में भी उनका पेट नहीं भरना था, उन्होंने कप्तानी भी ख़ुद ही करने का फ़ैसला किया. बहरहाल वो जब क्रीज़ पर पहुंचे तो सात गेंदें किसी तरह से खेल पाए लेकिन रन वो एक भी नहीं बना पाए. कहा जाता है जबसे वो HPCA के अध्यक्ष बने हैं तब से हिमाचल क्रिकेट की हालत बद से बदतर होती गयी है. होना भी खैर यही था..
हिमाचल के हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर अब जबकि BCCI अध्यक्ष बनने जा रहे हैं तो कई लोगों को चिंता हो रही है उसकी वजह भी है, आख़िर में जो आदमी अपने आपको BCCI अध्यक्ष बनाने के लिए इतना कुछ कर सकता है उसके बाद क्या करेगा ख़ुदा ही जाने !