अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति पर आधारित है भारतीय कुत्ते की नस्लों के नाम: लेखक

क्या आपके ज़ेहन में राजपलायम,चिप्पिपरै और ल्हासो अपसो जैसे नाम सुनकर कोई ख्याल आता है| यह सारे भारतीय नेसल के कुत्तो की कुछ खास प्रजातियां है और हमें से कई लोगो को इनके मालिक होने पर गर्व भी होगा|

अपनी किताब के लांच के मौके पर ‘एस थेओडरे भास्करन’ कुत्तो के इस्तिहास और उनकी अनेक नस्लों के बारे में बात करते दिखे| भास्करन अनेक शैलियों  जैसे तमिल सिनेमा, वन्य जीवन संरक्षण और भारतीय कुत्तों के संरक्षण तथा पुनरुद्धार से जुड़े रहे है| उनकी किताब  जिसका शीर्षक   “दी बुक ऑफ़ इंडियन डॉग्स” है शुक्रवार को संरक्षणकर्ता और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक फाइनेंस के अध्यक्ष  रथिन रॉय द्वारा चेन्नई में लांच की गयी|

थेओडरे ने अपनी किताब में भारतीय नेसल के कुत्तो जैसे  हिमालयन मस्तिफ्फ़, तिब्बतन टेरियर,सिंधी हाउंड, वाघरी हाउंड, राजपलायम, चिप्पिपरै के इतिहास का अनुरेखण किया है| ”  उन्होंने विभिन्न मूर्तियों के माध्यम से इतिहास में उनके प्रतिनिधित्व को दर्शाये जाने पर भी बात करी| उन्होंने ने समझाया की “मंदिरों में पाए गए शिलालेख राजाओं द्वारा लिखे गए थे लेकिन वहां हीरो स्टोन्स हैं जो आम आदमी के जीवन का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुत्तों के शिलालेख इन पत्थरों में से कई में पाया जा सकता है, ”

हमारे ककुत्तो की संस्कृति को किसान, शिकारी और आदिवासी परिवारों द्वारा विकसित किया गया था। ये ऐसे समुदाय हैं जो अब अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्णित हैं। कुत्तों की कई प्रजातियों को इन समुदायों के नाम पर रखा गया था। “साथी बनने के लिए शिकार में कुत्तों की यात्रा के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि यह ब्रिटिश था जिन्होंने प्रशिक्षित कुत्ते को साथी के रूप में पेश किया।