हैदराबाद २९मार्च (सियासत न्यूज़) रिश्वतखोरी को अगर दरख़्त मुतसव्वर कर लिया जाय तो फिर उसे ख़तन करने के लिए सिर्फ ऊपरी सतह से दरख़्त को काट कर छोड़ अक़्लमंदी नहीं होगी बल्कि उसे सब से पहले निचले हिस्सा यानी उस की जड़ को ख़तनकरना होगा। बड़े बड़े रिश्वतखोर ओहदेदारों के साथ साथ निचले दर्जा के मुलाज़मीन में रिश्वतखोरी के चलन को भी रोकना होगा ।
एक तरफ़ जहां रिश्वतखोरी में मुलव्वस आला ओहदेदारों की धड़ पकड़ जारी है तो दूसरी तरफ़ निचली सतह जैसे दर्जा चहारुम के मुलाज़मीन मैं रशोरत ख़ोरी बह बाँग दहल जारी ही।इस की एक मिसाल सरकारी दवाख़ाना नीलोफ़र हॉस्पिटल बाज़ार घाट है जहां का सकीवरीटी अमला और दवाख़ाना का अमला मुबय्यना तौर पर मरीज़ों से मिलने के लिए आने वाले उन के रिश्तेदारों से अंदर जाने के लिए बुला ख़ौफ़ रक़म का मुतालिबा कररहा ही। बताया जाता है कि दवाख़ाना के औक़ातसुबहता और शामता बजे है ओर इन औक़ात में भी अवाम से अंदर जाने के लिए रक़म का मुतालिबा किया जा रहा है। मरीज़ों की शिकायत है कि अदवियात के हुसूल के लिए बाहर जाकर वापिस अंदर जाने पर भी रक़म मांगी जा रही है।
पूछने पर कहा जा रहा है कि अंदर जाने के लिए तो पैसे देने ही पड़ेंगी। सिर्फ सिक्यॊरिटी अमला ही नहीं बल्कि दो अहाना का अमला बिलख़सूस ख़ातून मुलाज़मीन ने मरीज़ों के घर वालों या उन के रिश्तेदारों सेरक़म का मुतालिबा मामूल बना लिया है। ग़रीब अवाम ख़ानगी दवा ख़ानों में ईलाज के भारी ख़र्च से बचने के लिए नीलोफ़र हॉस्पिटल का रुख करते हैं ताहम मुफ़्त ईलाज की सहूलत से इस्तिफ़ादा कर सकें लेकिन यहां भी उन्हें सिक्यॊरिटी मुलाज़मीन और दवाख़ाना के अमला की रिश्वतखोरी की वजह से माली बोझ उठाना पड़ रहा है। ऐसे में दवाख़ाना में मुफ़्त तिब्बी सहूलत की फ़राहमी का मक़सद ही फ़ौत हो रहा है।ज़रूरत इस बात किया कि मुताल्लिक़ा हुक्काम दवाख़ाना में अमला की रिश्वतखोरी के सद्द-ए-बाब के इक़दामात करॊ ताकि ग़रीबअवाम को मुश्किलात कम अज़ कम माली मुश्किलात से नजात ज़रूर मिली।