अन्ना हज़ारे और हुकूमत

रिश्वत के ख़िलाफ़ मुहिम के बारे में सच बात ये है कि अन्ना हज़ारे ने हुक्मराँ तबक़ा को हर महाज़ पर तंग कर दिया हैं। इन की इंसिदाद रिश्वत सतानी मुहिम से अवाम के दिलों में उन के लिए एहतिराम और नेक जज़बात पैदा हो रहे हैं हुकमरानों की तारीफ़ और ख़ुशामद करने वालों का मुंह खुला हुआ है इस लिए उन के ब्यानात का मुल्क् के इंसिदाद रिश्वत सतानी जहद कार और उन के हामीयों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

अन्ना हज़ारे की वजह से कल तक जो हुकूमत और पार्टी ख़ौफ़ज़दा रहती थी और हुक्मरानी की सलाहीयतों या कारकर्दगी का मुज़ाहरा करने में नाकाम रही थी अब इस ने अन्ना हज़ारे को आर एस एस का एजैंट क़रार दे कर एक नया महाज़ खोल दिया है। इस की एक वजह ये भी है कि अन्ना हज़ारे और उन की टीम के अरकान की तफ़सीलात और ब्यानात का रुख यकतरफ़ा है इस से मुख़ालिफ़ीन को ये मौक़ा मिल रहा है कि वो क़ौमी मुआमलात को हाइल करते हुए अना हज़ारे की रिश्वत के ख़िलाफ़ मुहिम को दूसरा रंग दे रहे हैं।

वैसे अना हज़ारे ने भी अब तक अपनी मुहिम का रंग किसी ख़ास ग्रुप या तंज़ीम के रंग से रंगने की कोशिश की है। सियासत के दावँ पेच समझने और अपने हामीयों और वफादारों में असल चेहरों को पहचानने में ग़लती करने से एक अच्छी तहरीक और मुहिम बीच राह में ही किसी मख़सूस ग्रुप की नुमाइंदा बन जाती है।

अन्ना हज़ारे को आर एस एस का एजैंट इस हवाले से क़रार दिया जा रहा है कि इन का माज़ी आर ऐस इसके बाज़ क़ाइदीन से वाबस्ता था। हिन्दी अख़बार में शाय एक तस्वीर के बाद उन्हें आर एस एस का एजैंट क़रार देने वालों ने ये साबित करने की कोशिश की है कि अना हज़ारे की तहरीक के पीछे ख़ास तंज़ीम का हाथ ही। ये दावे किया गया है कि बदउनवानी के ख़िलाफ़ लोक पाल बिल लाने के लिए सरगर्म अना हज़ारे का आर ऐस इसके सीनीयर लीडर नानाजी देशमुख के साथ ताल्लुक़ रहा है और देशमुख के वो क़रीबी आदमी हैं।

इस सच्चाई को पेश करके हुक्मराँ तबक़ा ये साबित करना चाहता है कि रिश्वत के ख़िलाफ़ मुहिम की आड़ में अना हज़ारे सिंह परिवार के नज़रिया को फ़रोग़ दे रहे हैं। आइन्दा असैंबली इंतिख़ाबात से क़बल रिश्वत सतानी के ख़िलाफ़ मुहिम के असरात इंतिख़ाबी नताइज पर मुरत्तिब हूँ तो हुक्मराँ पार्टी और हलीफ़ों को शदीद धक्का पहुंचेगा। इस लिए वो इस तहरीक को सयासी रंग दे रहे हैं।

इस तबक़ा का ये कहना भी काबिल-ए-ग़ौर है कि वो तहरीक के नाम पर दिल्ली में सिर्फ ड्रामा बाज़ी कर रहे हैं। इन की हिंदूस्तानी सियासत में कोई शनाख़्त नहीं ही। अना हज़ारे की तस्वीर आर एस एस क़ाइदीन के साथ शाय करने वाले अख़बार ने मज़ीद मालूमात शाय करने का भी ऐलान किया हैं। एक ऐसे वक़्त में जब मुल़्क की पाँच रियास्तों में राय दहिंदों को अपने लिए एक अच्छी हुकूमत मुंतख़ब करने की तैय्यारी करनी हैं।

क़ौमी सतह पर बाअज़ मौज़ूआत को ज़ेर-ए-बहिस लाया जा रहा हैं। अना हज़ारे एक ऐसा मज़बूत लोक पाल बिल लाना चाहते हैं जो हुकूमत के लिए काबिल-ए-क़बूल नहीं हैं। पार्लीमैंट की मर्ज़ी के बगै़र कोई बिल मंज़ूर नहीं हो सकता तो करप्शन के ख़िलाफ़ मुहिम के नताइज की किस ज़रीए से तवक़्क़ो की जा सकती है।

कुरप्शन के ख़िलाफ़ अन्ना हज़ारे की ये मुहिम ज़ाइद अज़ एक साल से जारी है अब वो मुंबई में तीन रोज़ा बरत रख रहे हैं। मर्कज़ी हुकूमत अपनी कोताहियों की वजह से रिश्वत सतानी के ख़िलाफ़ मुहिम चलाने वालों के मुतालिबात को पूरे नहीं करसकती। ये क़ियादत की नाकामी या रिश्वत सतानी के ख़िलाफ़-ए-क़ानून लाने पर एतराज़ करने वालों के दबाव का शाख़साना है कि लोक सभा में लोक पाल बल पर मुबाहिस होने के बावजूद मुख़्तलिफ़ राय उभरे हैं।

अब अन्ना हज़ारे ने वज़ीर-ए-आज़म और अरकान-ए-पार्लीमैंट के नाम खुला ख़त लिख कर लोक पाल के साथ एक आज़ाद तहक़ीक़ाती शोबा मुंसलिक करने का मुतालिबा किया। क़ौमी सतह पर उभरने वाले ख़्याल को मद्द-ए-नज़र रखा जाये तो हुकूमत और इस के हामीयों को ये बात मान लेने में देरी नहीं होगी कि एक मज़बूत लोक पाल से रिश्वत के ख़ातमा की अवाम की बड़ी तादाद हिमायत कर रही हैं।

जहां तक लोक पाल के साथ तहक़ीक़ाती इदारे के लिए अना हज़ारे की तीन तजावीज़ का ताल्लुक़ है इस बारे में हुकूमत ने पहले ही वाज़िह कर दिया है कि वो सी बी आई को मुतास्सिर नहीं कर सकती। सी बी आई का ताक़तवर मौक़िफ़ बरक़रार रहेगा।

मगर अन्ना हज़ारे चाहते हैं कि सी बी आई को लोक पाल में ज़म करदिया जाए। इंसिदाद रिश्वत सतानी बयो रियो और वीजिलनेस डिपार्टमैंट्स को लोक आयवकत में ज़म करने पर ज़ोर दिया जा रहा है।

मगर ऐसा करना हुकूमत को गवारा नहीं है वो लोक पाल और लोक आयवकत के लिए उन के अपने तहक़ीक़ाती शोबे देने भी तैय्यार नहीं होगी। हुकूमत के इस तरह के मुतालिबात इमतिहान से कम नहीं हैं। सयासी रहनुमाओं का फ़र्ज़ ये होता है कि वो दस्तूरी ज़िम्मेदारीयों को नेक नीयती से अंजाम दें लेकिन अन्ना हज़ारे की तहरीक और अवाम की हमदर्दियों को भी ये सियासतदां ख़ासकर हुक्मराँ तबक़ा नज़रअंदाज करचुका है।

सरकारी कुव्वतों को बेलगाम रखा जाय तो रिश्वत का ख़ातमा मुम्किन नहीं। ये बात रिश्वत केख़िलाफ़ मुहिम चलाने वाले समझ रहे हैं मगर रिश्वत को अज़ीज़ रखने वालों केलिए नाक़ाबिल फ़हम है।