भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी के पिता तौसिफ अली का शुक्रवार (27 जनवरी) को दिल्ली में निधन हो गया। शमी के पिता को कार्डिएक अरेस्ट के चलते महीने की शुरुआत में भर्ती कराया गया था। अंतिम समय में भारतीय तेज गेंदबाज अपने के साथ नहीं रह पाए क्योंकि वे अपनी फिटनेस में सुधार के लिए बेंगलुरु स्थित नेशनल क्रिकेट एकेडमी में थे। उनके भाई आसिफ ने स्पोर्टसकीड़ा वेबसाइट को बताया कि वे(पिता) मुरादाबाद में थे लेकिन उनकी सेहत ठीक नहीं थी। इसके बाद उन्हें दिल्ली लाया गया। भाई जनवरी में खुद आए थे लेकिन उन्हें बेंगलुरु जाना पड़ा। परिवार के कुछ लोगों ने उन्हे रुकने को कहा था लेकिन उन्होंने कहा कि भारत भी उनके लिए पिता ही है और वह अपने कर्त्तव्य से पीछे नहीं हट सकते।
बकौल आसिफ, ”वह(शमी) काफी भावुक थे लेकिन उन्होंने यह सोचते हुए ट्रेनिंग पर जाने का फैसला किया कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज से पहले उनका ठीक होना टीम के लिए जरूरी है। अब मैं जानता हूं कि वह अगली सीरीज में अभी तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे।” पिता के देहांत के बाद शमी मीडिया के सामने नहीं आए और उनका कोई बयान भी नहीं आया। लेकिन उनके भाई ने बताया कि वे शायद सोच रहे हैं कि उन्हें पिता के पास होना चाहिए था लेकिन उन्होंने सही फैसला लिया। अब्बू उनके पेशे का सम्मान करते थे और अगर वे होते तो वे भी ऐसा ही करने को कहते। क्रिकेट उनके खून में था, वह वसीम अकरम के बहुत बड़े फैन थे। हमें उनकी बहुत याद आएगी विशेष रूप से भाई को। क्योंकि भाई जब भी परेशान होता तो वह उन्हें शांत करते थे।”
गौरतलब है कि शमी को भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज के दौरान चोट लग गई थी। इसके चलते वे रिकवरी में लगे हुए थे। ऑस्ट्रेलिया सीरीज से पहले ठीक होने के लिए वे बेंगलुरु में एनसीए में तैयारी कर रहे थे। आसिफ ने बताया कि अब्बू ने भाई को क्रिकेटर बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। वे उन्हें प्रेक्टिस के लिए लेकर जाते थे। वहां वे उनके साथ रहते थे। इसलिए अगर वे आज जिंदा होते तो वे भाई के फैसले से बहुत खुश होते।