अपराधियों को सजा के मामले में छूट बरती जाए

अहमदाबाद: गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में 24 अपराधियों के वकील ने अदालत से सजा के मामले में नरमी बरतने की अपील की। अदालत ने सभी अपराधियों को सजा की प्रकृति के फैसले की तारीख कल सुनाने का संकेत दिया है। 2002 गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में 69 लोगों सहित पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी को मारा गया था। विशेष सीबीआई अदालत अपराधियों को सजा की तरह का फैसला सुनाने से पहले वकीलों रक्षा और अभियोजन पक्ष की बहस की सुनवाई कर रही है। सोमवार को अभियोजन पक्ष ने सभी 24 अपराधियों को हत्या की वजह मृत्युदंड देने की इच्छा थी।

विशेष न्यायाधीश टीबी देसाई ने आरोपियों के वकील अभए भारद्वाज की सुनवाई जिन्होंने मौत की बजाय सजा उम्रकैद की इच्छा। उन्होंने कहा कि मौत तक उन्हें जेल में ही रखा जाए। न्यायाधीश ने कहा कि सभी अपराधियों को सजा के फैसले के बारे में कल घोषणा की जाएगी। एसआईटी के वकील से विशेषकर मृतकों के सदस्यों परिवार को मुआवजा और अन्य पहलुओं पर बात की जाएगी। अदालत ने 2 जून को 24 लोगों को जहां दोषी करार दिया वहीं 36 अन्य को रिहा कर दिया था।

हालांकि इन सभी के खिलाफ साजिश के आरोपों को हटा दिये गए। 66 आरोपियों के जुमला 6 सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई। 24 अपराधियों ने 11 पर हत्या का आरोप है जबकि अन्य 13 सहित विहिप नेता अतुल वेदी को कम के अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

भारद्वाज ने आज अदालत में पेश होते हुए कहा कि अपराधियों को सजा देने से पहले सभी घटनाओं को भी मद्देनजर रखना चाहिए। उनके आपराधिक पृष्ठभूमि, उम्र, सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, पुनर्वास की संभावनाओं के अलावा यह पहलू भी देखा जाए कि क्या उनकी सुधार संभव है। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए वकील ने कहा कि इन सभी में सुधार के पहलू को ध्यान में रखा गया था।

उन्होंने मोहम्मद जमालुद्दीन नासिर के मामले का जिक्र किया जिसे कोलकाता में अमेरिकी सेंटर पर हमले में 5 कर्मचारी पुलिस हत्या और 13 अन्य को घायल करने का दोषी करार दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उसे दी गई मौत की सजा को सजा उम्रकैद में बदल दिया था। इसी तरह वकील ने रणबीर सेना के सदस्य व्यास राम के मामले का भी हवाला दिया जिस पर 35 लोगों की हत्या करने का आरोप है लेकिन अदालत ने उसकी सजा में भी कमी कर दी थी।