मुफ्तियान जुनैद बिन मुहम्मद इफ्फी पालनपुरी और मुफ़्ती ताहिर बिन ज़ाकिर चौहान की जानिब से जारी करदा अपील में कहा गया है कि उम्मत मुस्लिमा पर मसाइब-ओ-आलाम का ख़त्म ना होने वाला सिलसिला चल पड़ा है, हरतरफ़ कुफ़्फ़ार ख़ुसूसन यहूद-ओ-नसारा की तरफ़ से मज़लूम नहत्ते मुसलमानों पर ज़ुल्म-ओ-तशद्दुद की इंतिहा होरही है।
फ़लस्तीन का हाल तो ना गुफ़्ता है, मासूम बच्चों और औरतों को बमों का निशाना बनाया जा रहा है ,कपड़ों के चीथड़ों की तरह बदन के चेतड़े उड़ाए जा रहे हैं। ऐसे हालात में हम इन नहत्ते मज़लूमीन की किसी और तरह से मदद नहीं करसकते तो कम से कम हम पर उनके लिए दोआओं का हक़ तो बनता ही है।
हज़रत मुफ़्ती अब्दुर्रहीम ने ऐसे मौक़ों पर फ़ज्र की नमाज़ में क़नूत-ए-नाज़िला पढ़ने को दरुस्त बतलाया है। लिहाज़ा हम तमाम अइम्मा मसाजिद-ओ-ज़िम्मा दारान से अपनी अपनी मस्जिदों में इन मज़लूम बेबस नहत्ते फ़लस्तीनी भाईयों की मदद की ख़ातिर फ़ज्र की नमाज़ में क़नूत नाज़िला पढ़ने की दरख़ास्त करते हैं, जब तक कि ये हालात ख़त्म ना हों।