सदर अस्पताल को ठुकराने के बाद मेदांता मेडिसिटी (गुड़गांव) ने अब इरबा वाकेय अब्दुर्र रज्जक अंसारी मेमोरियल विवर्स हॉस्पिटल के चलाने का फैसला लिया है। यह अस्पताल अब मेदांता और अब्दुर्र रज्जाक अंसारी मेमोरियल विवर्स अस्पताल के नाम से जाना जायेगा। विवर्स अस्पताल पहले अपोलो ग्रुप से ताल्लुक था।
पर 31 मई को अपोलो ग्रुप ने इस अस्पताल से अपनी ताल्लुक खत्म कर ली। बताया जाता है कि अस्पताल के चलाने के लिए अब्दुर्र रज्जक अंसारी मेमोरियल विवर्स हॉस्पिटल और मेदांता के दरमियान मंजूरी बन गयी है। मेदांता के दस्तूरुल अमल पर यह अस्पताल खरा उतरा है।
मेदांता की तकनीकी टीम इस अस्पताल की बुनियादी बनावट का जायजा कर रही है। टीम ने अपनी रिपोर्ट भी तैयार कर ली है। मेदांता मेडिसिटी 10 दिन बाद अब्दुर्र रज्जक अंसारी मेमोरियल विवर्स हॉस्पिटल को अपने नाम का इस्तेमाल करने की मंजूरी भी दे देगा।
मेदांता तीन माह बाद पूरी तरह से इस अस्पताल चलाने लगेगा। इसके लिए मेदांता के डॉक्टर और मुलाज़िमीन की टीम रांची आयेगी। इसी तीन माह के अंदर मेदांता अपने तरीके से अस्पताल की बुनियादी बनावट में भी बदलाव करेगा। जहां जरूरत होगी, नयी बनावट देवलप की जायेगी। सभी कमियों को दूर किया जायेगा। जानकारी के मुताबिक, अस्पताल के पूरी तरह से चलाने से पहले मेदांता के अहम व मुल्क के नामचीन हार्ट माहेरीन डॉ नरेश त्रेहन रांची आयेंगे। वह इसका जायजा भी करेंगे।
जानकारी के मुताबिक, अब्दुर्र रज्जाक अंसारी मेमोरियल विवर्स हॉस्पिटल को मेदांता का हिस्सा 3% देना चाहता है। हालांकि विवर्स हॉस्पिटल ने 5% की मांग की है। इस पर मंजूरी बाकी है। ज़राये की माने तो डॉ नरेश त्रेहन के भारत आने के बाद इस पर आखरी फैसला होगा।
‘‘मेदांता के ड्यूटी डिलिजेंस में हमारा अस्पताल खरा उतरा है। हम अस्पताल को चलाने के लिए मेदांता को दे रहे हैं। 17 जून तक मेदांता से मंजूरी मिल जायेगी। हिस्सेदारी पर अभी बात चल रही है। यह कोई तनाज़ा नहीं है।
सईद अहमद अंसारी
डाइरेक्टर,अब्दुर्र रज्जाक अंसारी मेमोरियल विवर्स हॉस्पिटल