अपोज़िशन क़ाइदीन पर नज़रियात के बजाय मुजस्समों पर बेहस का इल्ज़ाम

बी जे पी के विज़ारत अज़मी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर तन्क़ीद करते हुए मर्कज़ी वज़ीर मवासलात कपिल सिब्बल ने कहा कि मसाइल के बारे में उन के नज़रियात में लोगों को शरीक करने के बजाय अपोज़िशन क़ाइदीन मुजस्समों की तंसीब जैसे मामूलात पर बेहस कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मुल्क में जिस किस्म के मुबाहिसा की हम समाअत कररहे हैं वो यही है कि तुम ने ऐसा किया है तुम ने वैसा किया है तुम ने मुल्क को तबाह कर दिया है वग़ैरा वग़ैरा। उन्होंने कहा कि मसाइल पर बात करनी चाहिए । उन्होंने कहा कि मौजूदा सियासी निज़ाम तन्क़ीद और मुख़ालिफ़त के महवर पर ज़्यादा गर्दिश कर रहा है।

उन्होंने कहा कि सेहत और तालीम के बारे में आप का नज़रिया क्या है ? मईशत के बारे में आप क्या सोचते हैं ? आप का मुतबादिल नज़रिया क्या है? इस पर कोई भी बेहस नहीं करता। जिस बात पर बेहस होरही है वो सिर्फ़ ये है कि हम ने इतना बड़ा मुजस्समा नसब किया है।

उन्होंने सवाल किया कि क्या मुजस्समों की तंसीब से इत्तिहाद का जज़बा पैदा होसकता है ? उन्होंने कहा कि ये एक एहसास है और एहसास हमेशा दिल की गहिराईयों में पैदा होता है मुजस्समों की तंसीब से नहीं। मोदी के पसंदीदा प्रोजेक्ट का हवाला दे रहे थे जो गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल का बुलंद तरीन मुजस्समा नसब करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने सिर्फ़ तन्क़ीद और मुख़ालिफ़त पर तवज्जु मर्कूज़ की हो कामयाब नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि मुबाहिस में हमें मसाइल पर ग़ौर करना चाहिए कि हमारा मुल्क किस हालात में है किस किस्म की तालीम बच्चों को फ़राहम की जानी चाहिए ताकि वो फ़रोग़ पा सके।

कपिल सिब्बल ने सी आई आई के ज़ेरे एहतिमाम एक तक़रीब से ख़िताब करते हुए कहा कि सियासी सतह माज़ी की तरफ़ देख रही है। सियासी सतह के तरीका-ए-कार में हमें हमेशा माज़ी को याद रखना चाहिए लेकिन मुस्तक़बिल के बारे में बात करनी चाहिए। हमारे वज़ीर-ए-आज़म ने 1950 में क्या कहा था इस के बजाय 2025 में हम क्या कहेंगे इस पर ग़ौर किया जाना चाहीए।