वज़ीर-ए-आला मग़रिबी बंगाल ममता बनर्जी ने आज अपोज़ीशन से अपील की कि वो तख़रीबी सियासत से वाबस्तगी इख़तियार ना करें।
क़बाइलियों केलिए तर्तीब दिए गए एक ऐवार्ड फंक्शन से ख़िताब करते हुए उन्होंने कहा कि तरक़्क़ी के ग्रुप में कोई भी हुकूमत को चालेंज नहीं करसकता। अगर आप (अपोज़ीशन) तामीरी सियासत से ख़ुद को वाबस्ता नहीं करसकते तो तख़रीबी सियासत से भी दूर रहें।
याद रहे कि ममता बनर्जी आदीवासी डेवलप्मेंट डिपार्टमेंट की भी इंचार्ज हैं। अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि रियासती हुकूमत अनक़रीब एक सोसाइटी बनाएगी जिस में कबायली बिरादरी को भी अपना रोल निभाने का मौक़ा दिया जाएगा। कबायली तबक़ा ख़ुद को पस्मांदा ना समझे बल्कि समाज की तामीर में से भी आगे आना चाहिए।
हम आइन्दा भी क़बाइली तबक़ा से ताल्लुक़ रखने वाले तलबा को तालीमी शोबा में उनकी नुमायां ख़िदमात के लिए एवार्ड्स से नवाज़ेंगे। आज ज़रूरत इस बात की है कि कबायली तबक़ा से ताल्लुक़ रखने वाले डाक्टर बनें, अंजीनयर बनें। अहल और ज़हीन तलबा के लिए फंड्स कभी मसला नहीं बन सकता क्योंकि ये ज़िम्मेदारी हुकूमत की है।
उन्होंने इस मौक़ा पर रियासती हुकूमत की जानिब से मुतअद्दिद तरक़्क़ीयाती कामों का तज़किरा करते हुए कहा कि क़बाइलियों के लिए जंगलात के हुक़ूक़ की उन्होंने पहले ही वकालत की है और मर्कज़ से वकालत करते हुए उन्होंने कबायली तबक़ा को तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम करने की अपील भी की है।
ममता बनर्जी ने कहा कि स्कूलों में ओलचीकी ज़बान भी पढ़ाई जा रही है जो आदीवासियों की ज़बान है। उन्होंने कहा कि रियासत में कबायली तबक़ा की तरक़्क़ी के लिए हुकूमत अपने वाअदे की पाबंद है यही नहीं बल्कि रियासत में मौजूद दीगर तबक़ात के लोगों के मांग की भी यकसूई की जा रही है।
उन्होंने वादा किया कि कबायलियों को अब तक 30,000 साईकलें तक़सीम की गई हैं जबकि ज़ाइद से एक लाख कबायली तबक़ा को तालीम के शोबा में सब्सीडी फ़राहम की जा रही है जबकि आई टी के शोबा में भी कबायली फ़िर्क़ा की काबिल लिहाज़ नुमाइंदगी है।