एक आरटीआई के जवाब के मुताबिक जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य से विवादास्पद अफस्पा एक्ट की वापसी के लिए कोई औपचारिक प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया है।
“अफस्पा को हटाने के लिए जम्मू और कश्मीर की राज्य सरकार की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं है,” गृह मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में कहा। मानवाधिकार कार्यकर्ता एम एम शुजा ने राज्य में अफस्पा को रद्द करने के लिए राज्य सरकार की मांग के बारे में जानकारी मांगने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय में एक आरटीआई दायर की थी।
गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि अफस्पा को रद्द करने के लिए समय-समय पर समीक्षा की जाती रहती है। समीक्षा के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि जम्मू-कश्मीर से अफस्पा को वापस लेने के लिए अभी सही वक़्त नहीं है ।
अफस्पा को रद्द करना पीडीपी और विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस दोनों के एजेंडे में रहा है | नेशनल कांफ्रेंस ने 2008 से 2014 तक कांग्रेस के साथ गठबंधन बना कर राज्य में शासन किया और 2014 से पीडीपी भाजपा के साथ गठबंधन कर सत्ता में है | आरटीआई के जवाब में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर से अफस्पा को रद्द करने के मुद्दे को समय-समय पर समाज और कश्मीर घाटी में लोगों के अलग-अलग समूहों द्वारा उठाया गया है।
आरटीआई के मुताबिक उमर अब्दुल्ला (जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री) ने भी 14 नवंबर, 2011 को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री (पी चिदंबरम) के साथ बैठक में और 5 जून 2013 को आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन के दौरान इस मुद्दे को उठाया था । जुलाई में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि राज्य में स्थिति में सुधार करने के क्रम में, अफस्पा को कुछ क्षेत्रों से समाप्त किया जाना चाहिए | एक प्रयोग के रूप में 25 से 50 पुलिस थाना क्षेत्रों में अफस्पा हटाकर शुरुआत की जा सकती है।
जून में एक पहली आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा था कि पिछले दो वर्षों में जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार की तरफ से अफस्पा रद्द करने के लिए कोई लिखित अनुरोध नहीं प्राप्त किया गया है।
“घाटी के हालात की समय समय पर मंत्रालय में समीक्षा की जाती है। हालांकि पिछले दो वर्षों के दौरान, जम्मू एवं कश्मीर में अफस्पा को रद्द करने के संबंध में कोई औपचारिक बैठक का आयोजन नहीं किया गया है,” मंत्रालय ने पहली आरटीआई के जवाब में कहा था।