अबू जिंदाल के ख़िलाफ़ अदालती बहस 24 मार्च से

एक ख़ुसूसी एन आई ए अदालत ने लश्करे तैबा के दहशतगर्द अबू जिंदाल के ख़िलाफ़ फ़र्द-ए-जुर्म आइद करने बहस के लिए 24 मार्च की तारीख़ मुक़र्रर की है। याद रहे कि अबू जंदाल 6/11 हमलों का एक कलीदी मुल्ज़िम है।

डिस्ट्रिक्ट जज आई एस महित ने एन आई ए की जानिब से अबू जिंदाल के वकील एम एस ख़ां को फ़र्द-ए-जुर्म की नक़ल के साथ जमा करवाई गई दस्तावेज़ात फ़राहम करने के बाद 24 मार्च आइन्दा तारीख़ मुक़र्रर की। यहां इस बात का तज़किरा ज़रूरी है कि अबू जंदाल हिंदुस्तान में दहशत गर्दाना कार्यवाहियां अंजाम देने की पादाश में फ़र्द-ए-जुर्म आइद की गई थी, ने पहले अदालत में इद्दिआ किया था कि एन आई ए और महाराष्ट्र पुलिस ने उस पर कुछ दस्तावेज़ात और कुछ सादा काग़ज़ात पर दस्तख़त करने के लिए दबाव‌ डाला था।

जिंदाल जिसे ज़बीह उद्दीन अंसारी के नाम से भी जाना जाता है, फ़िलहाल मुंबई की आर्थर रोड जेल में कैद‌ है। अपनी फ़र्द-ए-जुर्म में एन आई ए ने कहा कि 2005 में जिंदाल ने अपने साथी फ़य्याज़ काग़ज़ी के साथ मिलकर नवंबर के महीना में लश्करे तैबा से वाबस्तगी इख़तियार करली थी।

वो दोनों लश्करे तैबा कमांडर अबदुलअज़ीज़ से मुलाक़ात के लिए नेपाल गए थे जहां उन्हें बम साज़ी और आई ई डी साज़ी की तर्बियत दी गई। फ़र्द-ए-जुर्म में ये इद्दिआ भी किया गया है कि हिंदुस्तान वापिस आने के बाद जंदाल बंगलादेश के रास्ते पाकिस्तान फ़रार होगया था और कराची में क़ियाम पज़ीर होगया।