अबू सलेम पर लगे इल्ज़ाम को हुकूमत वापस लेगी

नई दिल्ली, 02 अप्रैल: हुकूमत मुंबई के 1993 बम कांड में मुल्ज़िम अंडर व‌र्ल्ड डॉन अबू सलेम के खिलाफ धमाके के साथ हथियार रखने और टाडा की मुखतलिफ दफाओं में लगे इल्ज़ाम को वापस लेना चाहती है। उसने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सलेम पर लगे आठ में से छह इल्ज़ाम वापस लेने की इज़ाज़त मांगी है।

हुकूमत ने कोर्ट से उस साबिक हुक्म में भी बदलाव का दरखास्त किया है, जिसमें सलेम के दरखास्त को खारिज करते हुए हवालगी के शर्तों के अलावा लगाए गए इल्ज़ामों में मुकदमा चलाने को हरी झंडी दे दी थी। 2005 में पुर्तगाल से हवालगी सलेम का मामला मुंबई की टाडा कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के स्टे( Stay) के सबब फिलहाल सुनवाई पर रोक है।

पीर की दिन हुकूमत की ओर से पेश अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने कोर्ट से 10 सितंबर 2010 के फैसले में तरमीम की दरखास्त किए है। उन्होंने कहा, हुकूमत सलेम के खिलाफ लगे कुछ इल्ज़ामों पर जोर नहीं देना चाहती है। जस्टिस पी सथाशिवम की सदारत वाली बेंच ने उनकी दलीलें सुनने के बाद सलेम को अर्जी का जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का वक्त देते हुए सुनवाई 9 जुलाई तक टाल दी।

हुकूमत की अर्जी में सलेम के हवालगी के वक्त पुर्तगाल हुकुमत से किए वादे का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि पुर्तगाल हुकूमत ने सलेम को फांसी और 25 साल से ज्यादा की सजा न देने की शर्त पर ही हवालगी किया था। यह भी शर्त थी कि सलेम को जिन जुर्म के लिए हवालगी किया जा रहा है, सिर्फ उन्ही दफआत में मुकदमा चलाया जाए। हुकूमत का कहना है कि टाडा अदालत ने सलेम पर 8 इल्ज़ाम तय किए हैं जिनमें से छह में मुकदमा चलाने के लिए हवालगी (Extradition) नहीं हुआ है।

सलेम ने हवालगी की खिलाफवर्ज़ी का इल्ज़ाम लगाते हुए इज़ाफी इल्ज़ाम को रद्द करने की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दरखास्त खरिज करते हुए अपने 2010 के फैसले में कहा था कि सलेम को जिन दफआत में मुकदमा चलाने के लिए हवालगी किया गया है उससे कम सजा वाले और इल्ज़ामों में भी मुकदमा चल सकता है।

सलेम ने इस मामले को पुर्तगाल अदालत में दरखास्त दाखिल कर हवालगी को मंसूख करने की मांग की थी, जिस पर पुर्तगाल की अदालत राजी हो गई।

पुर्तगाल के सुप्रीम कोर्ट और आइनी कोर्ट (Constitutional Court) ने हुकूमत ए हिंदुस्तान की अपील खारिज कर दी है। हुकूमत ने कहा है कि दोनों मुल्को की अदालतों के बीच तनाज़ात पैदा हो गए है। हुकूमत ने दोनों मुल्को के बीच इम्तेज़ाज (Harmony) बनाने और दिए कलाम / वायदे को निभाने का हवाला देते हुए मुल्ज़िम के वापसी की इज़ाज़त मांगी है। हुकूमत ने कहा है कि ज़ुर्म वापस लेने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि जिन ज़ुर्मो में मुकदमा चलेगा वे भी संगीन हैं।