हैदराबाद । १७ । मई (सियासत न्यूज़) हुकूमत अगर कांस्टेबल अबदुलक़दीर की रिहाई के इक़दामात नहीं करेगी तो अवाम को सड़कों पर निकल कर एहतिजाज करने पर मजबूर होना पड़ेगा। जनाब मुस्तफ़ा परवेज़ ने एक आम शहरी की तरह कांस्टेबल अबदुलक़दीर की रिहाई केलिए मुनाक़िदा एक रोज़ा भूक हड़ताल में शिरकत करते हुए अपने ख़िताब के दौरान ये वाज़िह किया कि वो भूक हड़ताल कैंप में मौजूद अफ़राद केलिए नहीं बल्कि हुकूमत के नुमाइंदों केलिए ये तक़रीर कर रहे हैं ताकि वो लोग हुकूमत को एक आम शहरी के जज़बात से वाक़िफ़ करवाए।
जनाब मुस्तफ़ा परवेज़ ने बताया कि रियासत में जो सूरत-ए-हाल पैदा होरही है , उसे देखने के बाद ऐसा महसूस होता है कि मज़लूम का कोई पुर्साने हाल नहीं है। उन्हों ने बताया कि उन्हें इस धरने या भूक हड़ताल में शिरकत के लिए किसी ने मदऊ नहीं किया था बल्कि अब्दुल क़दीर के लिए उन की तड़प ने उन्हें इस प्रोग्राम में शिरकत के लिए मजबूर कर दिया।
उन्हों ने बताया कि अगर ज़ुलम इसी तरह जारी रहेगा तो सब्र का पैमाना लबरेज़ होजाएगा। उन्हों ने इस्तिफ़सार किया कि अब्दुलक़दीर के जुर्म का ज़िम्मेदार कौन है ? अब्दुलक़दीर ने जो इक़दाम क्या वो हालात क्योंकर पैदा हुई। इन तमाम हक़ायक़ को मद्द-ए-नज़र रखते हुए अबदुलक़दीर की रिहाई केलिए हुकूमत को फ़ौरी अहकाम जारी करने चाहिए । जनाब मुस्तफ़ा परवेज़ ने बताया कि हुकूमत और पुलिस उन्ही हरकात के सबब आम आदमी में हुकूमत और पुलिस के ख़िलाफ़ नफ़रत ही, इस के तदारुक केलिए हुकूमत को ज़ुलम के ख़िलाफ़ कार्रवाई का आग़ाज़ करना चाहिए।
उन्हों ने बताया कि वो एक आम आदमी की हैसियत से ये सोचने पर मजबूर हो चुके हैं कि इस मुल्क में नज़म-ओ-ज़बत और क़ानून को बुनियाद बनाते हुए एक मज़लूम को इस के अहल-ओ-अयाल के दौर किया जा रहा है। जनाब मुस्तफ़ा परवेज़ ने अब्दुल क़दीर की अलालत के बावजूद क़ैद को एक हस्सास मसला क़रार देते हुए कहा कि मिल्लत-ए-इस्लामिया को इस संगीन मसला पर मुत्तहिद होते हुए मज़लूम कांस्टेबल अब्दुलक़दीर और उन के अहल-ओ-अयाल के लिए जद्द-ओ-जहद का हिस्सा बनने की ज़रूरत है।