अब्दुल रज़्ज़ाक, जो ईको-फ्रेंडली तरीके से बेचते है मीट

तिरुनेलवेली। शहर की मिलिट्री लाइन मस्जिद के नजदीक चिकन की दुकान चलाने वाले अब्दुल रज़्ज़ाक को ग्राहक को पॉलिथीन की थैली में मीट पैक कर देने वाली बात परेशान करती थी। पॉलिथीन से होने वाले नुकसान को लेकर जागरूकता के प्रति सचेत हुए अब्दुल रज़्ज़ाक ने आखिरकार इसके लिए ईको-फ्रेंडली तरीका ढूंढ निकाला।

दरअसल राज्य के होटलों में केले के पत्तों पर खाने के व्यंजन परोस कर दिए जाते हैं, रज़्ज़ाक अब मीट को ताड़ के पत्तों से बने बॉक्स में बेचते हैं जिस वजह से उनकी दुकान अब वहां लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गई है। यह बॉक्स पूरी तरह से ईको-फ्रेंडली है और करीब 15 दिन पहले ही उन्होंने पॉलिथीन की जगह इन बॉक्स में मीट बेचना शुरू किया है।

रज़्ज़ाक थोड़ी मात्रा के मीट के लिए केले के पत्ते या फिर पेपर का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, उनके लिए यह सब कर पाना आसान नहीं था, क्योंकि ताड़ के पत्ते का बॉक्स बनाने वाले कुटीर उद्य़ोग की हालत अब अच्छी नहीं है, जो विशेष तौर पर तूतीकोरिन और तिरुनेलवेली में फला-फूला था। लेकिन उन्होंने उन कारीगरों को ढूंढ निकाला जो ऐसे बॉक्स बनाते थे और बड़ी संख्या में ऐसे बॉक्स का ऑर्डर दे डाला।

अब्दुल रज़्ज़ाक बताते हैं कि पॉलिथीन के इस्तेमाल से पहले यही बॉक्स चलन में था। पहले लोग मिठाई और स्नैक्स इसी में पैक कर बेचते थे, लेकिन पॉलिथीन ने इसका स्थान ले लिया। वे कहते हैं, ताड़ के बॉक्स में मीट कई घंटे तक फ्रेश रहता है और जब इसे बनाया जाता है ताड़ के पत्तों से खाने में भीनी सी खुशबू आती है।