अब्बू जंदाल के मुंबई हमले मुक़द्दमे का कलीदी(मुख्य) साज़िशी होने का फ़र्द-ए-जुर्म(अरोप)

क्राईम ब्रांच मुंबई के 20 अक्टूबर को ज़िमनी फ़र्द-ए-जुर्म(उप आरोप पत्र) दाख़िल करने का इमकान , अबू जन्दाल को आतंकवादियों को हिंदी सिखाने की जिम्मेदारी देने का खुलासा

सिटी पुलिस अनक़रीब 26 नवंबर के मुंबई हमलों के बारे में एक ज़िमनी फ़र्द-ए-जुर्म(उप आरोप पत्र) दाख़िल करेगी जिस में लश्कर-ए-तुयेबा के कारकुन(कार्यकर्ता) सय्यद ज़बीह उद्दीन अंसारी उर्फ़ अब्बू जंदाल को कलीदी साज़िशी की हैसियत से पेश किया जाएगा। इस को दहश्तगर्द कार्रवाई की तफ़सीलात से चार महीने पहले वाक़िफ़(परिचित) करवाया गया था। इस के पाकिस्तानी आक़ाॶं ने उसे इस हमले की तफ़सीलात से वाक़िफ़(परिचित) करवाया था।

फ़र्द-ए-जुर्म(उप आरोप पत्र) उम्मीद है कि 15 दिन के अंदर पेश किया जाएगा जिस में तहक़ीक़ात कनुंदा, अब्बू जंदाल को कलीदी साज़िशी की हैसियत से पेश करेंगे। अब्बू जंदाल ने एम ए हिन्दी कोर्स का साल अव्वल बेड़ में पुरा किया था और उसे गिरफ़्तार दहश्तगर्द अजमल आमिर क़स्साब और दीगर(अन्य‌) 9 दहश्तगरदों को हिन्दी सिखाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। क्राईम ब्रांच के एक सीनीयर ओहदेदार ने कहा कि दहश्तगरदों को हिन्दी सिखाई गई थी ताकि वो इस ज़बान में दहश्तगर्द हमले के वक़्त बातचीत करसकें और हिंदूस्तानी सयान्ती महिकमों की तवज्जु(ध्यान‌) हटा सकें।

फ़र्द-ए-जुर्म(उप आरोप पत्र) में ये बात खुलासा किया जाएगा कि क़स्साब और अब्बू जंदाल ने इंतिहाई सख़्त हिफ़ाज़ती इंतिज़ामात वाली आर्थर रोड जेल में शख़्सी तौर पर चर्चा की थी। अजमल आमिर क़स्साब ज़िंदा बच जाने वाला वाहिद हमलावर है और इस जेल में क़ैद है। फ़र्द-ए-जुर्म(उप आरोप पत्र) में अब्बू जंदाल का एतराफ़ी ब्यान भी शामिल किया जाएगा जिस में समझा जाता है कि इस में लश्कर-ए-तयेबा के 2008 के मुंबई दहश्तगर्द हमले में किरदार की गहिरी तफ़सीलात ब्यान की हैं।

ओहदेदारों ने कहा कि एक ज़िमनी फ़र्द-ए-जुर्म(उप आरोप पत्र) 20 अक्टूबर को पेश किया जाएगा जिस को फ़िलहाल क़तईयत दी जा रही है। फ़र्द-ए-जुर्म(उप आरोप पत्र) में 30 साला अब्बू जंदाल के ब्यान पर इन्हिसार(निर्भर) किया जा रहा है कि इस ने नरीमान हाउस‌ एक यहूदी मर्कज़(केंद्र) में महसूर दो दहश्तगरदों को हिदायत जारी की थी। वो कराची में क़ायम एक कंट्रोल रुम से हिदायत जारी करता था। उन्हों ने कहा कि फ़र्द-ए-जुर्म(उप आरोप पत्र) में ब्यान किया जाएगा कि इस की बातचीत में सयान्ती महिकमों ने दख़ल अंदाज़ी की थी।

अब्बू जंदाल की आवाज़ के नमूने जो इस मुक़द्दमे का सब से क़ीमती मुजरिम है, इस की आवाज़ के दीगर(अन्य) नमूनों से तक़ाबुल के लिए फ़ार नसक़ लीबारटरी रवाना किए गए थे, जिस की रिपोर्ट हनूज़ वसूल नहीं हुई। फ़र्द-ए-जुर्म(उप आरोप पत्र) में कहा गया है कि अगस्त 2008 में एक ग्रुप बिशमोल अब्बू जंदाल को लश्कर-ए-तयेबा के आला सतही कारकुनों की तरफ‌ से 26/11 के हमले के बारे में तफ़सीलात से वाक़िफ़ करवाया गया था।

ग्रुप के हर शख़्स को मुख़्तलिफ़ मुहिम्मात की ज़िम्मेदारी सपुर्द की गई थी। अब्बू जंदाल को हमलावरों को हिन्दी सिखाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी। अब्बू जंदाल महाराष्ट्रा के ज़िला बेड़ का मुतवत्तिन है और उसे मुंबई पुलिस ने इस वक़्त हिरासत में लिया था जब उसे दिल्ली से गिरफ़्तार करके यहां मुंतक़िल किया गया था। इस की गिरफ़्तारी सऊदी अरब से जारीया साल जून में हिंदूस्तान की तहवील में दिए जाने के बाद अमल में आई थी। 21 जुलाई को मुंबई पुलिस ने अब्बू जंदाल को मुंबई दहश्तगर्द हमले मुक़द्दमा में गिरफ़्तार किया था। क़स्साब और दीगर 9 अफ़राद ने मुंबई में जो हंगामा खड़ा किया था , इस में 166 अफ़राद हलाक और दीगर कई ज़ख़मी हुए थे।