बिहार अदालती सर्विस में दीगर ओबीसी को रिजेर्वेशन का फाइदा नहीं मिलेगा। अब ओबीसी कोटा के उम्मीदवार रेजेर्वेशन की बदौलत अदालती सर्विस में बहाल होने से महरूम रहेंगे। वहीं एससी और एसटी कोटा के उम्मीदवारों को रिजेर्वेशन का फाइदा मिलेगा।
पटना हाईकोर्ट ने पीर को हुकूमत के उस तरमीम को मंसूख कर दिया, जिसमें सिविल जज (जूनियर डिविजन) और बिहार सुपीरियर जूडिशियल सर्विस के दस्तूरुल अमल में बदलाव किया था। चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति रेखा एम दोशित और जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की बेंच ने दयानंद सिंह की तरफ से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। हुक्म आने के बाद प्रिन्सिपल अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने सहाफ़ियों से बातचीत करते हुए कहा कि इस हुक्म को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज दी जाएगी।
रियासती हुकूमत ने 25 जून 2009 को दस्तूरुल अमल में तरमीम कर एससी एसटी समेत ओबीसी को अदालती सर्विस में रिज़र्वेशन देने का फैसला लिया था। हुकूमत की तरफ से किए गए तरमीम की कानूनी हैसियत को अदालत में चैलेंज दी गई थी। अर्जी पर बहस करते हुए वकील चक्रपाणी ने कहा कि कानून के आर्टिक्ल 233 व 16(4) का खिलाफ वरजी कर रिज़र्वेशन का फाइदा अदालती सर्विस में दिया गया है। यहां तक कि रिजेर्वेशन देने के मसले पर रियासती हुकूमत ने हाईकोर्ट से मशवरा तक नहीं किया।
हाईकोर्ट के वकील सत्यवीर भारती ने मिस्टर चक्रपाणी की दलील को मंजूर करते हुए कहा कि रिजेर्वेशन के मामले में हाईकोर्ट से हुकूमत ने किसी क़िस्म का मशवरा नहीं किया है। बिना मशवरा के हुकूमत रेजेर्वेशन का फाइदा नहीं दे सकता। वहीं रियासती हुकूमत के फैसले को सही ठहराते हुए अपर महाधिवक्ता पीएन शाही ने अदालत को बताया कि हुकूमत और हाईकोर्ट के दरमियान काफी पहले से इस नुक्ते पर गौर किया जा रहा है। इसके बाद ही हुकूमत ने तरमीम नोटिफिकेशन जारी की है।
तमाम फरीकों की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि हुकूमत ने जो मशवरा करने की बात कह रही है, वह सही नहीं है। हुकूमत से इस मुद्दे पर मशवरा नहीं हुआ है। अदालत ने कहा कि अदालती सर्विस में रिज़र्वेशन देने के पहले इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि गरीब और कमजोर तबके के लोगों को सही मायने में इंसाफ मिल सके। रिजेर्वेशन का फाइदा दिए जाने से इंसाफ अमल में रुकावट नहीं हो, इस पर गौर किया जाना निहायत जरूरी है। अदालत ने हुकूमत की तरफ से जारी दोनों नोटिफिकेशन को मंसूख कर दिया।