अब इस सीट पर अखिलेश- मायावती ने किया गठबंधन, बीजेपी की मुश्किलें बढ़ी!

गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर बसपा-सपा गठबंधन ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी। जिसके बाद दोनों पार्टियों के बीच 2019 की पटकथा लिखी जाने लगी, लेकिन एक बार फिर बसपा-सपा गठबंधन का कैराना में टेस्ट होने जा रहा है।

यह इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि अगर यहां पर गठबंधन फिर से बीजेपी को मात दे देता है तो आने वाले लोकसभा चुनावों में यूपी जीत का सपना देख रही बीजेपी को बड़ा झटका लगेगा।

कैराना लोकसभा में 28 मई को मतदान और 31 मई को मतगणना होगी। इस सीट पर 2014 में बीजेपी के हुकुम सिंह ने जीत दर्ज की थी। इसी साल 3 फरवरी को उनका निधन हो जाने के बाद यह सीट खाली हुई है।

माना जा रहा है कि बीजेपी इस सीट से हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को चुनाव मैदान में उतार सकती है। हालांकि, मृगांका विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा चुकी हैं, लेकिन सपा के नाहिद हसन से मात खानी पड़ी थी।

बसपा उपचुनाव में न लड़ने के वादे पर कायम है। ऐसे में विपक्ष की ओर से सपा, कांग्रेस और आरएलडी ही अपना उम्मीदवार उतार सकती हैं। सहारनपुर से कांग्रेस के नेता इमरान मसूद कैराना से चुनावी रणभूमि में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

सपा भी अपने उम्मीदवार को लेकर मंथन में जुटी है। अखिलेश ऐसे उम्मीदवार पर दांव लगाना चाहते हैं जो इस सीट को सपा की झोली में डाल सके।

कैराना लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। मौजूदा समय में चार बीजेपी के पास हैं और कैराना विधानसभा सीट सपा के पास है।

2014 लोकसभा चुनावों में यहां पर बीजेपी को 5 लाख 65 हजार 909 वोट मिले थे, जबकि सपा को 3 लाख 29 हजार 81 वोट और बसपा को 1 लाख 60 हजार 414 वोट। ऐसे में अगर सपा-बसपा के वोट जोड़ लिए जाएं तो भी बीजेपी आगे है।