पटना : हैदराबाद यूनिवर्सिटी के दलित रिसर्च तल्बा विमोला की ख़ुदकुशी के लिए मजबूर किये गए दहशत की ख़ुदकुशी दो नज़रिया को ज़ाहिर करता है. मुल्क में जब से बीजेपी की हुकूमत आई है यूनिवार्सिटीयों के जम्हूरी माहौल पर हमला किया जा रहा है जिस तरह समाज में दलितों के साथ तफरीक किया जाता है. अब आला तालीमी अदारों में भी दलित तल्बा के साथ तफरीक किया जा रहा है ये बेहद शर्मनाक है. पहले चेन्नई में आंबेडकर परियार स्टडी सर्किल को मुल्क के दुश्मन एलान करके भंग कर दिया गया. इस मर्तबा हैदराबाद यूनिवार्सिटी में मुज़फ्फरनगर बाक़ी जैसी फिल्म दिखलाने वाले दलित तल्बा पर बीजेपी के तल्बा यूनियन ABVP के ज़रिये हमला किया गया. इस हमला के बाद सिकंदराबाद के बीजेपी Mp और मर्क़ज़ी वज़ीरे HRD के दबाव में यूनिवार्सिटी के VC ने उन 5 तलबा को न सिर्फ यूनिवार्सिटी से निकाल दिया बल्कि हॉस्टल और मेस से उनका समाजी बायकॉट कर दिया। इस में दो मर्क़ज़ी वुजरा की मश्गुलियत है. उन वुजरा को मर्क़ज़ी काबिना से हटाने के सवाल पर पुरे मुल्क में पर्तिवाद मार्च का इन्काद किया जा रहा है।
CPIM का मौकिफ है की बीजेपी अब तालीमी अदारों के माहौल को ज़हर आलूद करना चाहती है और महरूम तबके के तल्बा को इतना टॉर्चर करने का मंसूबा है की वो या तो मौत को गले लगा लें या फिर तालीम छोड़ कर चले जाएँ। हैदराबाद यूनिवार्सिटी में दलित तालिबे इल्म के साथ कुछ इसी तरह का मामला हुआ है। इसी का नतीजा है की तालिबे इल्म ने ख़ुदकुशी कर ली। इसकी तहकीकात होनी चाहिए।