देश के मशहूर कवि डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि अब वह दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगे। अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ने की संभावनाओं को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं ने कांग्रेस से दूरियां दिखाने और खुद का कलंक धोने के लिए अमेठी से चुनाव लड़वाया था। वह अपनी पार्टी से असंतुष्ट नजर आए पर खुलकर नहीं बोले। भाजपा में शामिल होने की संभावनाओं को उन्होंने सिरे से नकार दिया।
सोमवार शाम बांदा पहुंचे विश्वास ने कहा कि वह कवि शिरोमणि गोस्वामी तुलसी दास, बाबू केदारनाथ की भूमि में आएं है। बुन्देलखण्ड हिन्दी कविता की जननी है। यहीं हिन्दी के महाकाव्य की रचना हुई। उन्होंने प्रख्यात समाजसेवी नानाजी देशमुख को याद करते हुए कहा कि उन्होंने क्षेत्र की तस्वीर बदल दी। अब मौजूदा समय सभी दलों को मंथन करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि देश का विकास गाय,गंगा और मंदिर से नहीं होगा। जनता की समस्याओं व उनके निराकरण से ही लोग खुशहाल रहेंगे। इस समय की राजनाति मुद्दों से भटक गई है। भगवान की कोई जाति नहीं होती। वह तो चराचर में विद्यमान है। इस पर बहस व्यर्थ है। हनुमानजी की जाति का विश्लेषण गलत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीन राज्यों के चुनाव ने साफ संकेत दे दिया है कि माहौल क्या है। कहा कि वह यहां कवि के रूप में आए है। उनका किसी दल से कोई मतलब नहीं है।
जा पर विपदा पड़त है सोई आवत यही देश
बांदा से भले ही अब चित्रकूट अलग हो गया हो पर कण-कण में भगवान कामतानाथ विराजे हैं। पवित्र चित्रकूट की उस भूमि में आए है जहां के लिए रहीमदास ने लिखा कि ‘चित्रकूट में रम रहे रहिमन अवध नरेश,जा पर विपदा पड़त है सोई आवत यही देश ’।
कवि सम्मेलन में झलक पाने को लोग रहे बेताब
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित कवि सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे कुमार विश्वास की कविताओं पर श्रोता झूम उठे। उन्हें सुनने के लिए शाम 5 बजे से ही श्रोता जीआईसी मैदान में जुटने लगे थे। रात करीब नौ बजे जब विश्वास मंच पर पहुंचे तो महौल ही बदल गया। तुम कितनी दूर मुझसे हो मै कितना दूर तुमसे हूं…कविता सुनने के लिए श्रोताओं में बेताबी रही। यह सम्मेलन आधी रात तक चला।