अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो दिल्ली से पटना के दरमियान भी बुलेट ट्रेन दौड़ती नजर आयेगी। रेल वज़ारत ने रियासती हुकूमतों के मशवरे से हाइ स्पीड वाली मुसाफिर ट्रेनें चलाने के मक़सद से फिजिबिलिटी स्टडी करने के लिए जिन सात गलियारों का सलेक्शन किया है, उसमें दिल्ली-आगरा-लखनऊ-वाराणसी-पटना (991 किमी) गलियारा भी शामिल है। रेल रियासती वज़ीर कोटला जय सूर्य प्रकाश रेड्डी ने जुमा को राज्यसभा में जब जानकारी दी तो पटना के लोगों की उम्मीद जगी।
उन्होंने बताया कि पुणे-मुंबई-अहमदाबाद के 650 किमी लंबे कॉरीडोर का मुताला पूरा हो गया है और रेल वज़ारत ने मुशीर की तरफ से पेश आखरी रिपोर्ट भी कुबूल कर ली है। दीगर छह कॉरीडोर दिल्ली-आगरा-लखनऊ-वाराणसी-पटना (991 किमी), हावड़ा-हल्दिया (135 किमी), हैदराबाद-दोर्णाकल-विजयवाड़ा-चेन्नई (664 किमी), चेन्नई-बेंगलूर-कोयंबतूर-एर्नाकुलम-तिरुवनंतपुरम (850 किमी), दिल्ली-जयपुर-अजमेर-जोधपुर (591 किमी) और दिल्ली-चंडीगढ़-अमृतसर (450 किमी) हैं।
सात घंटे की होगी बचत
दिल्ली-आगरा-लखनऊ-वाराणसी-पटना कोरिडोर 991 किलोमीटर लंबा है। फिलहाल राजधानी एक्सप्रेस से पटना से दिल्ली जाने में 12.10 घंटा लगता है, जो दीगर ट्रेनों के मुक़ाबले सबसे कम वक़्त लेती है। अगर 200 किलोमीटर की रफ्तार से भी बुलेट ट्रेन चलती है, तो पटना से दिल्ली पहुंचने में पांच घंटे से भी कम वक़्त लगेगा। ऐसे में तकरीबन सात घंटे का वक़्त बचेगा।