कुवैत में एक नए हालिया क़ानून के तेहत तमाम शहरीयों और वहां बसने वाले ग़ैर मुल्कीयों के लिए डी एन ए टेस्ट करवाना लाज़िमी क़रार दिया जा चुका है। ये क़ानून एक शीया मस्जिद पर होने वाले एक होलनाक हमले के बाद मुतआरिफ़ करवाया गया था।
26 जून को कुवैत की एक शीया मस्जिद पर ख़ुदकुश हमले के बाद अब कुवैत में भी नमाज़ें पुलिस के पहरे में अदा की जाने लगी हैं। इस साल छब्बीस जून को कुवैत में इस शीया मस्जिद के अंदर दहश्तगर्द तंज़ीम इस्लामिक स्टेट के एक जिहादी ने ख़ुद को धमाके से उड़ा दिया था, जिस के नतीजे में 26 अफ़राद हलाक और दीगर दो सौ ज़ख़मी हो गए थे। हमला आवर एक सऊदी शहरी था। इस होलनाक हमले के फ़ौरन बाद जुलाई के अवाइल में कुवैती पार्लीमान ने ये नया क़ानून मंज़ूर किया था।
न्यूयार्क में क़ायम हियूमन राईट्स वाच की मशरिक़-ए-वुसता के शोबे की डायरेक्टर सारा ली व-ए-टसन ने कहा है”बहुत से इक़दामात इमकानी तौर पर दहश्त पसंदाना हमलों से तहफ़्फ़ुज़ के मुआमले में सूदमंद साबित हो सकते हैं लेकिन इंसानी हुक़ूक़ में बड़े पैमाने पर मुदाख़िलत के लिए इमकानी सूद मंदी ही काफ़ी नहीं है।
इस क़ानून में मुल्की विज़ारात-ए-दाख़िला पर ज़ोर दिया गया है कि वो एक ऐसा डेटाबेस तैय्यार करे, जिस में कुवैत के तमाम 1.3 मिलैयन शहरीयों के साथ साथ कुवैत में मुक़ीम2.9 मिलयन ग़ैर मुल्कीयों से मुताल्लिक़ भी तमाम कवाइफ़ मौजूद हूँ।