अब 5 रुपए में करवाइये वर्ल्ड क्लास हॉस्पिटल में इलाज

महज़ पांच रुपए में हार्ट का इलाज हो जाए। वह भी वर्ल्ड क्लास। इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। इतना ही नहीं कॉरपोरेट और दीगर प्राइवेट अस्पतालों में होनेवाले महंगे जांच भी कई गुना कम शरह पर। यानी मरीजों का कम से कम खर्च में क्वालिटी ट्रीटमेंट एयरकंडीशन फैसिलिटी के साथ। यह सहूलत शुरू हुई है रिम्स के सुपर स्पेशिएलिटी कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में। भर्ती करने के लिए अभी से ही बेड की कमीं होने लगी है। जांच के लिए सप्ताह भर की वेटिंग। झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ, बंगाल, ओडि़शा के मरीज यहां आकर इलाज करा रहे हैं।

107 में अभी 52 बेड चालू

कार्डियोलॉजी यूनिट (कार्डियक सर्जरी के साथ) 107 बेड का है। फिलहाल, कार्डियक सर्जरी शुरू नहीं हुआ है। इसलिए अभी डिपार्टमेंट में 52 बेड चालू कर दिया गया है। इसमें 19 बेड का आईसीयू है। 11 बेड का कैथ रिकवरी है। चार प्राइवेट रूम भी हैं। इसके अलावा 32 बेड का जनरल वार्ड है। डिपार्टमेंट के मुताबिक महीने में 70 से 75 एंजियोग्राफी, करीब 20 एंजियोप्लास्टी और इतना ही पेसमेकर इंप्लांट हो रहा है।

ओपीडी में बढ़ रहे मरीज

डिपार्टमेंट के ओपीडी में मरीजों की तादाद मुसलसल बढ़ रही है। करीब सौ से डेढ़ सौ नए और पुराने मरीज हर एक दिन ओपीडी में पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों को दिनभर बैठना पड़ रहा है। इसका फीस महज़ पांच रुपए है।

दीगर अस्पतालों में कितना खर्च

प्राइवेट अस्पतालों में जांच का खर्च करीब 10 से 20 गुणा ज्यादा है। प्राइवेट अस्पतालों में एंजियोग्राफी का चार्ज 13 से 15 हजार रुपए है, जबकि रिम्स में साढ़े तीन हजार से पांच हजार रुपए में और एंजियोप्लास्टी के लिए बेस्ट क्वालिटी का स्टेंट (मरीज की पसंद पर) 45 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक खर्च होता है। ये मरीज खुद खरीदते हैं।

मुश्किल भरा था वह पल

डिपार्टमेंट में जब ज्वाइन किया था, तब यहां कुछ नहीं था। काफी मशक्कत करनी पड़ी। लेकिन, मन में यकीन था। बदलाव का। जो अब हो रहा है। डिपार्टमेंट आलीशान और मॉडर्न हो चुका है। मरीजों को बेहतर इलाज मिल रहा है। वर्ल्ड क्लास ट्रीटमेंट की सहूलत कम खर्च पर मरीजों को मिलना बड़ी बात है। बेहतर इलाज का नतीजा है कि जांच और इलाज के लिए मरीजों को दस-दस दिनों का वेटिंग करना पड़ रहा है।
डॉ. हेमंत नारायण राय, एचओडी कार्डियक डिपार्टमेंट