अभिसार शर्मा का ब्लॉग- ‘ये देश का सल्फेट काल है’

“प्रधानमंत्री ने कानपुर मे हुए रेल हादसे के लिए नेपाल और पाकिस्तान की ओर इशारा कर दिया, किसी ने सोचा तक नहीं कि बात मे कितनी सत्यता है. कोई नहीं पूछ रहा है कि न तो जांच ऐजेंसी NIA और ना ही रेलवे मंत्रालय की जांच ने किसी साज़िश की बात की है. मगर मोदीजी कह रहे हैं तो सच ही होगा. क्यों ? ”

ये सरकार सुविधावादी हैं. सैनिकों के साहस को राजनीतिक तौर पर भुनाते हैं, मगर नगरोटा पर चुप. जो हिंदू भारतीय अमरीका मे मारा गया उस पर चुप. मगर फिर भी भोली भाली जनता को ये प्रपंच, ये ढ़ोंग पसंद है. उसे ये नहीं दिखाई दे रहा कि यूपी के चुनावों मे नफरत का संदेश कोई और नहीं सीधे प्रधानमंत्री और अमित शाह के लेवल पर दिया जा रहा है. शमशान कब्रिस्तान, कसाब सब डंके की चोट पर चल रही है. चुनाव आयोग, मीडिया मस्त है.

ISRO की उपलब्धि को भी मोदीजी की निजी कामयाबी के तौर पर पेश किया जा रहा है. आरबीआई, चुनाव आयोग, मीडिया सारी संस्थाएं विश्वसनीयता की सबसे खराब अवस्था पर हैं. फिल्मी हस्तियां, खिलाड़ी , सेसर बोर्ड, सब मानो एक ऐजेंडा के तहत काम कर रहे हैं. कोई सवाल भी नहीं करता. या तो चुप्पी है या सहमती.

करगिल के शहीद की बेटी को बलात्कार की धमकी मंज़ूर है देश के स्टेट होम मिनिस्टर को, मगर वो एबीवीपी की गुंडागर्दी पर सवाल करे, तो बतौर “रीरीरीरीजीजू”, उसे कोई भटका रहा है. हम वाकई एक ऐसे समाज की और बढ़ रहे हैं, जिसकी सोच कचरा है, जो झूठ बार बार बोलकर उसे सत्य मे तब्दील करना चाहती है. न मीडिया को सच से कोई लेना देना है, न आम इंसान को. कोई जवाबदेही नही है.

अगर बीजेपी सभी जगह जीत रही है, तो वो सही ही होगी. कोई नहीं देख रहा कि ज़रिया क्या है. राजनीतिक विकल्प इतने कमज़ोर हैं कि आम इंसान झूठ के कारोबार का शान से हिस्सा बन रहा है. ये वाकई देश का सल्फेट काल है. और हम सब चू. सल्फेट. सबने खुशी से चरस पी हुई है. और जो सवाल करे, जो हकीकत दिखाने का प्रयास करे उसे परेशान करो. उसके खिलाफ प्रौपगैंडा चलाओ.

उसे हर मोर्चे पर सताओ. उसके परिवार तक तो नहीं बक्शो. उसके बीवी बच्चों तक को मत छोड़ो. जो काम माफिया नहीं करता, वो तुम लोग करो. ये बात पूरी ज़िम्मेदारी से कह रहा हूं. गुस्से मे हूं, मगर कंट्रोल मे. ऐसे लोगों को कई मोर्चों पर परेशान किया जाता है, निजी और काम के स्तर पर भी. और जनता ये सब नहीं देखती. उसे बस जलवा दिख रहा है. उसे बस खेल चाहिए. मनोरंजन.

प्रधानमंत्री ने कानपुर मे हुए रेल हादसे के लिए नेपाल और पाकिस्तान की ओर इशारा कर दिया, किसी ने सोचा तक नहीं कि बात मे कितनी सत्यता है. कोई नहीं पूछ रहा है कि न तो जांच ऐजेंसी NIA और ना ही रेलवे मंत्रालय की जांच ने किसी साज़िश की बात की है. मगर मोदीजी कह रहे हैं तो सच ही होगा. क्यो?

और सवाल करे, उसे नेस्तनाबूद कर दो. उसके लिए एबीवीपी, गौ सैनिक, सोशल मीडिया ट्रोल्स हैं न. और आप सबको ये पसंद है. क्योंकि आंच आप तक नहीं आई है. आप अब भी इस सोच मे जीना चाहते हैं कि देश के हिंदू पर 67 साल से नाइंसाफी हुई है और इन मुसलमानो , उदारवादियों, बिके हुए पत्रकारों पर सिर्फ मोदीजी लगाम लगा सकते हैं. तीन साल मे देश ने कितनी तरक्की देखी है ना. क्यों? अच्छे दिन. याद है ना? या फिर ये भी जुमला…

मगर जैसा मैने बताया ना, ये देश का सल्फेट काल है और हम सब…”

लेखक एक वरिष्ठ टीवी पत्रकार है, यह उनके निजी विचार है