अमन- शांति को कायम रखने वाले को मुसलमान कहा जाता है- दारुल उलूम देवबंद

मुल्क में अशांति फैलाने वाले को इस्लाम मुसलमान नहीं मानता मुल्क में अशांति फैलाने वाले को इस्लाम मुसलमान नहीं मानता दारुल उलूम गौसिया के सालाना जलसे में देश के कोने-कोने से आए उलेमा व सज्जादानशीन ने शिरकत की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने कहा कि देश में अमन शांति को कायम रखने वाले को मुसलमान कहा जाता है।

दारुल उलूम गौसिया के सालाना जलसे में देश के कोने-कोने से आए उलेमा व सज्जादानशीन ने शिरकत की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने कहा कि देश में अमन शांति को कायम रखने वाले को मुसलमान कहा जाता है।

मुल्क में अशांति फैलाने वाले को इस्लाम मुसलमाल नहीं मानता। उलेमाओं ने आतंकवाद को लेकर देश के सभी मुसलमानों को एक मंच पर आने की अपील की।

सैय्यदवाड़ा मोहल्ले में संचालित होने वाले मदरसा दारुल उलूम गौसिया के सालाना 19 वें जलसा का भव्य आयोजन हुआ। बुधवार की रात हुए कार्यक्रम में मुख्यअतिथि बलरामपुर से आए समीउल्लाह अलीमी ने कहा कि आतंकवाद को लेकर दुनिया भर में कोहराम मचा हुआ है।

आतंकवादी घटनाओं में बेगुनाह लोग मारे जाते हैं। यह इस्लाम का धर्म नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में अमन-चैन बनाए रखने वाले को मुसलमान कहा जाता है जो मुल्क में अशांति फैलाते हैं इस्लाम उन्हें मुसलमान होने का दर्जा नहीं देता है।

समाज में उपद्रव करने वाले मुसलमान नहीं शैतान होते हैं। इस्लाम ऐसे लोगों को मुसलमान मानना तो दूर इंशान भी नहीं मानता है। आतंकवाद को लेकर कहा कि आईएसआईएस, अलकायदा, तालिबान जैसे आतंकी संगठन दुनिया के लिए ही नहीं यह इस्लाम के लिए भी खतरा बने हुए हैं।

राजस्थान से आए मुफ्ती शकील कादरी ने कहा कि आतंकवाद फैलाने वाले लोगों का इस्लाम से कोई वास्ता नहीं है। सुन्नी समुदाय के लोग सूफीज्जम को मानने वाले हैं जिन्होंने इंसानियत व भाईचारे का संदेश दिया।

जलसे की सदारत कर रहे सैय्यद उवैस मुस्तफा वास्ती बिलग्रामी ने कहा कि बरेलवी संस्कृति के प्रचार-प्रसार से पूरे विश्व में शांति कायम हो सकेगी। आज इस विचारधारा को दुनिया भर में फैलाने की जरूरत है।

फलाह रिसर्च कानपुर के अध्यक्ष शाहिद शाह अल्वी ने बच्चों की पढ़ाई पर जोर दिया। इस मौके पर प्रधानाचार्य कारी शमशुल कमर, मुफ्ती मंजर अलीमी, आसिफ अत्तारी, मौलाना अजमल, मौलाना गुलाम नबी, जाहिद चिश्ती, आमिद अल्तारी, मुजफ्फर कादरी, महफूज रजा आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

मदरसा दारुल उलूम गौसिया के प्रबंधक हजरत मौलाना मुस्तकीम अहमद कादरी को सैय्यद उवैस मुस्तफा वास्ती ने उनकी समाज के प्रति बढ़ रही जबाव देही के चलते ‘खिलाफत’ से नवाजा है। इसकी घोषणा होते ही जलसा में खुशी की लहर दौड़ गई।

बरेलवी साहित्य के साथ सूफीज्जम की विचारा धारा को जन- जन तक पहुंचाने के लिए तुर्की के किताब बेवी ‘हकीकत’ की पुस्तकों को जलसा में निशुल्क वितरण किया गया।

साभार- हिन्दुस्तान लाइव