हैदराबाद । 21 । अक्टूबर : ( प्रैस नोट ) : हैदराबाद लिटरेरी फ़ोर्म ( हलफ़ ) के ज़ेर-ए-एहतिमाम 14 अक्टूबर शाम सात बजे उर्दू हाल हिमायत नगर में शिकागो अमरीका से तशरीफ़ फ़र्मा मारूफ़ अदीब-ओ-शायर जनाब हसन चिशती के एज़ाज़ में एक जलसा मुनाक़िद किया गया । जलसे की सदारत जनाब अली ज़हीर , सदर हलफ़ ने की । जब कि पद्मश्री प्रोफ़ैसर मुज्तबा हुसैन ने मेहमान ख़ुसूसी की हैसियत से शिरकत की । मुहतरमा क़मर जमाली जनरल सैक्रेटरी हलफ़ ने जलसे की कार्रवाई चलाई । इबतदा-ए-में मुहतरमा क़मर जमाली ने हलफ़ का मुख़्तसर तआरुफ़ पेश किया । जलसे की बाज़ाबता कार्रवाई से क़बल नाज़िम जलसा ने हसब-ए-रिवायात पिछली नशिस्त की मुख़्तसर सी रूदाद पेश की । आग़ाज़ में जनाब इमतियाज़ उद्दीन और डाक्टर मुस्तफ़ा कमाल ऐडीटर शगूफ़ा ने जनाब हसन चिशती के साथ यूनीवर्सिटी कैंपस में गुज़रे बीते दिनों की यादें ताज़ा कीं । मुहतरमा क़मर जमाली ने जनाब हसन चिशती का मुख़्तसर सा तआरुफ़ पेश किया । इस के बाद जनाब मुज्तबा हुसैन ने जनाब हसन चिशती से अपने देरीना ताल्लुक़ात का ज़िक्र करते हुए कहा कि हसन चिशती बेहद हमदरद इंसान हैं । वो दूसरों की तकलीफ़ पर तड़प उठते हैं । निहायत रफ़ीक़ अलक़लब इंसान हैं । ख़ुदा ने उन्हें नवाज़ा भी ख़ूब है । फ़राख़दिली से ज़रूरतमंदों की मदद करते हैं । हसन चिशती की हैसियत शुमाली अमरीका में उर्दू के सफ़ीर जैसी है । जनाब हसन चिशती ने अमरीका में उर्दू अदब का मौक़िफ़ पर बात करने से पहले पुराने हैदराबादी रफ़ीक़ों का ज़िक्र किया और निहायत इनकिसारी से अपने मरासिम का इआदा किया । उन्हों ने कहा कि अमरीका में उर्दू ज़बान-ओ-अदब को सीखने का चलन ज़ोर पकड़ रहा है । आज अगर हम उर्दू ज़बान की बक़ा के लिए फ़िक्रमंद हैं और अफ़सोस करते हैं कि हमारी तहरीरें हमारी औलाद पढ़ नहीं सकती तो इस में क़सूर इन का नहीं बल्कि ख़ुद हमारा ही है । वकफ़ा-ए-सवालात के दौरान किए गए सवालात का उन्हों ने निहायत ही इतमीनान से जवाब दिया । जनाब अली ज़हीर ने अपने सदारती कलिमात में कहा कि हसन चिशती हैदराबाद में भी कई इदारों से वाबस्ता रहे । उस्मानिया यूनीवर्सिटी में मुलाज़मत के दौरान अर्बाब नज़म-ओ-नसक़ से भी उन के अच्छे मरासिम थे । उन ही की सिफ़ारिश पर अली ज़हीर को यूनीवर्सिटी इंजीनीयरिंग की तालीम के दौरान उन के वालिद ने यूनीवर्सिटी हॉस्टल में दाख़िल करवाया था । बादअज़ां जनाब मुज़्तर मजाज़ की सदारत में मुशायरे का आग़ाज़ हुआ और हलफ़ से मुताल्लिक़ अराकीन शारा-ए-जनाब मसहफ़ इक़बाल तौसीफ़ी , जनाब रूफ ख़लिश , जनाब अली ज़हीर , जनाब मुहसिन जलगानवी , जनाब रूफ ख़ैर , जनाब सितार सिद्दीक़ी और मेहमान शायर जनाब हसन चिशती के कलाम सुनाया । नाज़िम जलसा मुहतरमा क़मर जमाली ने शुक्रिया अदा किया।।