अंडमान के सैंटलीज द्वीप पर मारे जाने से पहले अमेरिकी नागरिक ने जॉन चाऊ ने अपने आखिरी नोट में लिखा था- ‘भगवान, मैं मरना नहीं चाहता हूं.’
चाऊ पर अंडमान द्वीप के सेंटनलीज आदिवासियों के साथ संपर्क करने की जिद सवार थी. वह ईसाई मिशनरी था जो सेंटनलीज आदिवासियों को ईसाई में कन्वर्ट होने के लिए मनाने पहुंचा था. बता दें कि अमेरिकन मिशनरी जॉन चाऊ को संरक्षित और बाहरी दुनिया से बिल्कुल अछूते सेंटनलीज आदिवासियों ने तीरों से मार दिया था.
16 नवंबर को अपने परिवार को लिखे आखिरी नोट में चाऊ ने लिखा था, ‘आप लोगों को लग सकता है कि मैं पागल हूं लेकिन मुझे लगता है कि इन लोगों को जीसस के बारे में बताना फिजूल नहीं होगा.’
जॉन ने लिखा था- ‘मैं मारा जाऊं तो आदिवासियों पर गुस्सा मत करना’
मिशनरी ने अपने परिवार को लिखे नोट में कहा था कि अगर उसे कुछ हो जाता है तो आदिवासियों पर या फिर भगवान पर गुस्सा ना निकालें.
अमेरिका नागरिक जॉन चाऊ की हत्या से उनका परिवार सदमे में है. परिवार ने लिखा कि उन्हें जितना दुख हो रहा है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है.
हालांकि, जॉन के परिवार ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में भारत सरकार से अनुरोध किया है कि प्रतिबंधित इलाके तक पहुंचने में मदद करने वाले मछुआरों को सजा ना दी जाए. परिवार ने यह भी कहा कि उन्होंने जॉन की मौत के जिम्मेदार लोगों को माफ कर दिया है.
परिवार ने कहा कि जॉन सैंटनेल द्वीप पर अपनी मर्जी से गया था और उसकी मदद करने वाले मछुआरों का सजा नहीं दी जानी चाहिए.
चाऊ के इंस्टाग्राम पर डाली गई पोस्ट में परिवार ने लिखा कि वह एक प्यारा बेटा, भाई, चाचा और हम सबका सबसे अच्छा दोस्त था. दूसरे लोगों के लिए वह एक ईसाई मिशनरी, एडवेंचरस ट्रैवलर, इंटरनैशनल सॉकर कोच और एक माउंटेनियर था.
जॉन की मौत की खबर की पुष्टि ना होने तक परिवार को उम्मीद थी कि वह जिंदा होगा.
इंस्टाग्राम पोस्ट में परिवार ने 7 लोगों की रिहाई के लिए अनुरोध किया है.
सैंटनेलीज बाहरी दुनिया के लोगों को दुश्मन समझते हैं और नजदीक आने पर जानलेवा हमला करते हैं. 2004 में सुनामी आने के बाद जब भारतीय वायु सेना इस द्वीप पर निगरानी के लिए पहुंची थी तो सेना के हेलिकॉप्टर पर भी आदिवासियों ने तीर चलाए थे.