नरेंद्र मोदी जिन्हें मुत्तफ़िक़ा तौर पर मुल्क का आइन्दा वज़ीर-ए-आज़म मुंतख़ब किया गया है, उन्होंने गुजरात के वज़ीर-ए-आला की हैसियत से अपना इस्तीफ़ा पेश कर दिया और कहा कि 12 साल के तवील अर्सा के बाद यहां से जा रहा हूँ लेकिन मेरी कोई फाईल ज़ेर-ए-इलतिवा या नामुकम्मल नहीं है।
मैंने अपने तमाम फ़राइज़ की बख़ूबी अंजाम दही की है। बी जे पी एम एल ए के विदाई इजलास से ख़िताब करते हुए उन्होंने कहा कि तकनीकी तौर पर अब वो गुजरात के साबिक़ वज़ीर-ए-आला होचुके हैं लेकिन मैंने अपना कोई काम अधूरा नहीं छोड़ा है। उन्होंने कहा कि वो हालाँकि इंतिख़ाबी मुहीम में बेहद मसरूफ़ रहे लेकिन जैसे ही उन्हें फ़ुर्सत मिलती थी वो रात के औक़ात में भी अपने ऑफीसर्स और मातहतों को फ़ोन करके नामुकम्मल कामों की पूरा करवा लेते थे।
उन्होंने कहा कि मेहनत और लगन का हमेशा अच्छा फल मिलता है और गुजरात में कई अहल और काबिल लीडर मौजूद हैं। अवामी ज़िंदगी में बुलंदियों पर पहुंचने का कोई शॉर्ट कट रास्ता नहीं है। उन्होंने ख़ुद अपनी मिसाल देते हुए कहा कि वो भी पार्टी के एक मामूली वर्कर थे। इसी तरह अगर कोई वर्कर मेहनत और लगन से काम करता है तो इसके समरात ज़रूर मिलते हैं।
अब ये हाल है कि अपोज़ीशन अगर अमीत शाह की तस्वीर भी देख ले तो ख़ौफ़ज़दा होजाती है। उन्होंने अमीत शाह की तारीफ़ का सिलसिला जारी रखते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश में पार्टी की कामयाबी के पसेपुश्त अमीत शाह का अहम रोल था। उन्होंने कहा कि इंतिख़ाबात के बाद मुल्क की 14 रियासतें और मर्कज़ के ज़ेर-ए-इंतज़ाम 6 रियासतें कांग्रेस से मुक्त (आज़ाद) होगईं।
कांग्रेस में मौजूद उनके कुछ ख़ैरख़ाहों ने सी बी आई को यहां रवाना किया जिसने चाय फ़रोख्त करने वालों की तौहीन की जिस से चाय इन्क़िलाब रूनुमा हुआ क्योंकि तमाम चाय फ़रोख्त करने वाले कांग्रेस मुख़ालिफ़ होगए। इसे कहते हैं सौ अभीमान (ख़ुद्दारी) की ताक़त। उन्होंने कहा कि वो पार्टी में आइन्दा 20 सालों के लिए क़ाइदीन को तैयार करना चाहते हैं।