अमेठी और रायबरेली में प्रचार से प्रियंका गांधी की दूरी पर उठ रहे हैं सवाल

नई दिल्ली। प्रियंका गांधी बेशक पार्टी में किसी पद पर न हों लेकिन 1999 के लोकसभा चुनावों में पहली बार पार्टी के लिए प्रियंका के प्रचार शुरू करने के बाद से शायद ही कोई ऐसा चुनाव होता हो जहां प्रचार के लिए उनकी डिमांड न रहती हो। यहां तक की कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मुकाबले भी पार्टी और कार्यकर्ताओं में उनकी लोकप्रियता ज्यादा ही मानी जाती है।

प्रियंका भी इस बात को अच्छी तरह समझती हैं इसलिए हर चुनावों में वह मां और भाई के कंधा से कंधा मिलाकर पार्टी के लिए प्रचार करती नजर आती हैं। लोकसभा चुनावों में तो वो रायबरेली और अमेठी में मां और भाई के चुनावों का प्रबंधन खुद ही संभालती हैं, दोनों ही जिलों में कार्यकर्ताओं के बीच उनकी जबरदस्त लोकप्रियता तो है ही प्रियंका का भी यहां से खास लगाव है।

लेकिन 18 सालों में पहली बार देखने को आ रहा है कि विधानसभा जैसे महत्वपूर्ण चुनावों के बाद भी प्रियंका ने एक बार भी इधर का रुख नहीं किया है। अमेठी रायबरेली को लेकर प्रियंका की बेरुखी कई सवाल खड़े कर रही है।